प्रेमानंद महाराज से एक शख्स ने पूछा कि 'बातचीत के दौरान लोग मेरी बुराई करते हैं, मुझे क्या करना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 'दूसरों की आलोचना या बुराई करने से खुद को ही नुकसान होता है।
प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'जिस व्यक्ति को तुमने नुकसान पहुंचाया है उसके पाप तुम्हारे हिस्से आए हैं।
उसके पापों के परिणामस्वरूप तुम्हें नरक में जाना होगा, तो हमें ऐसा क्यों करना चाहिए?'
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 'सबसे पहले तो पुण्य कर्म करना कठिन होता है।
बुरे कर्म करके हम अपने पास जो थोड़ा बहुत पुण्य होता है उसे भी नष्ट कर देते हैं। भूलकर भी न करें ऐसी गलती।
प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'भक्तों की आलोचना बहुत बुरी होती है, जो भी यह गलती करता है।
प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'भक्तों की आलोचना बहुत बुरी होती है, जो भी यह गलती करता है।