मृत्यु के वक्त इंसान को कैसा लगता है,प्रेमानंद महाराज ने बताया
राधारानी के परम भक्त और वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज लोगों को आदर्श जीवन जीने के लिए सही मार्गों के बारे में बताते रहते हैं
कहा जाता है कि इंसान अपने सांसारिक जीवन में जैसा कर्म करेगा, उसी आधार पर वह अंतिम समय में जीवन व्यतीत करता है
जीवन के अंतिम समय यानी मृत्यु का पल सुख और शांति में कटे, इसके लिए इंसान जीवन भर अपने पाप और पुण्य को बैलेंस करता रहता है
प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि मृत्यु के समय इंसान के साथ क्या होता है और उस वक्त इंसान को कैसा लगता है
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'जब हमारा शरीर पूरा होने को होता है तो मन में बड़ी घबराहट होती है, इन्द्रियों में बहुत व्याकुलता होती है
मृत्यु के वक्त मन और अंतःकरण में भी बहुत व्याकुलता होती है. अगर उस समय भागवत आश्रय नहीं है तो जहां कहीं भी थोड़ी प्रियता रही होगी उसकी याद आ जाएगी
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'अगर इंसान की प्रियता बैंक बैलेंस के प्रति, पुत्र के प्रति, पत्नी के प्रति या जिसके प्रति होगी, उसी की याद आएगी
चूंकि, आपने प्रभु का आश्रय लिया नहीं, उत्तम भजन हुआ नहीं. आपने जो भी अशुभ किया होगा. आपके सामने वही सीन होगा
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, 'आप उसी अशुभ चीजों की याद में शरीर को छोड़ेंगे. इसका परिणाम यह होगा कि अगले जन्म में आप उसी में पहुंच जाएंगे'