श्री कृष्ण के सबसे खास शख्स ने दिया था राधा को श्राप!
राधा-कृष्ण का प्रेम जितना चंचल और निर्मल रहा उतना ही यह जटिल और निर्मम भी है, सदियों से भले ही कृष्ण के साथ राधा का नाम लिया जाता रहा है, लेकिन प्रेम की ये कहानी कभी पूरी नहीं हो पाई
आज भी ये सवाल लोगों के मन में आता है कि राधा और कृष्ण का प्रेम कभी शादी के बंधन में क्यों नहीं बंध सका?
ऐसा कहा जाता है कि राधा धरती पर कृष्ण की इच्छा से ही आई थीं,भादो के महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के अनुराधा नक्षत्र में रावल गांव के एक मंदिर में राधा ने जन्म लिया था
कहते हैं कि जन्म के 11 महीनों तक राधा ने अपनी आंखें नहीं खोली थी,कुछ दिन बाद वो बरसाने चली गईं, जहां पर आज भी राधा-रानी का महल मौजूद है
राधा और कृष्ण की पहली मुलाकात भांडिरवन में हुई थी,नंद बाबा यहां गाय चराते हुए कान्हा को गोद में लेकर पहुंचे थे,कृष्ण की लीलाओं ने राधा के मन में ऐसी छाप छोड़ी कि राधा का तन-मन श्याम रंग में रंग गया
कृष्ण-राधा की नजरों से ओझल क्या होते, वो बेचैन हो जाती, वो राधा के लिए उस प्राण वायु की तरह थे जिसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल था कहते हैं कि राधा को कृष्ण से विरह का श्राप किसी और से नहीं बल्कि सुदामा से मिला था
वही सुदामा जो कृष्ण के सबसे प्रिय मित्र थे, सुदामा के इस श्राप के चलते ही 11 साल की उम्र में कृष्ण को वृन्दावन छोड़कर मथुरा जाना पड़ा था
श्रीकृष्ण और राधा गोलोक एकसाथ निवास करते थे, एक बार राधा की अनुपस्थिति में कृष्ण विरजा नामक की एक गोपिका से विहार कर रहे थे, तभी वहां राधा आ पहुंची और उन्होंने कृष्ण और विरजा को अपमानित किया
इसके बाद राधा ने विरजा को धरती पर दरिद्र ब्राह्मण होकर दुख भोगने का श्राप दे दिया, वहां मौजूद सुदामा ये बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने उसी वक्त राधा को कृष्ण से बरसों तक विरह का श्राप दे दिया
100 साल बाद जब वे लौटे तब बाल रूप में राधा कृष्ण ने यशोदा के घर में प्रवेश किया, वहां रहे और बाद में सबको मोक्ष देकर खुद भी गोलोक लौट गए