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Shiva Devotees Coming from Abroad in Kannauj : उज्जैन की तरह राजा है कन्नौज के बाबा गौरीशंकर

• LAST UPDATED : February 28, 2022

Shiva Devotees Coming from Abroad in Kannauj 

Shiva Devotees Coming from Abroad in Kannauj

इंडिया न्यूज, कन्नौज :
Shiva Devotees Coming from Abroad in Kannauj : एमपी के उज्जैन में महाकाल राजा हैं, उसी तरह कन्नौज के बाबा गौरीशंकर इत्रनगरी के राजा हैं। शिवभक्तों में ऐसी आस्था है कि बाबा गौरीशंकर (Baba Gaurishankar) की इच्छा के बिना कोई काम नहीं होता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि जनपद समेत आसपास जिलो से हजारों की संख्या में लोग हर सोमवार को माथा टेकने आते हैं। भारत ही नहीं बाबा गौरीशंकर के विदेशों में भी बाबा के भक्त हैं। इसके अलावा रामायण समेत कई ग्रंथों में इनका उल्लेख मिलता है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन यहां हजारों की तादाद में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

1600 साल पुराना मंदिर

बाबा गौरी शंकर प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर (Ancient Siddhpeeth Temple) है, जो 1600 वर्ष पुराना है। छठवीं सदी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। उस समय कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से जाना जाता था। यह गौरी मुखी शिवलिग जमीन से निकला था, जिसमें माता पार्वती, गणेश जी और भगवान कार्तिकेय भी है। पूरे भारत में एक इकलौता शिवलिग है।

राजा ने लगाए थे 1001 पुजारी

राजा हर्षवर्धन ने इस शिवलिग की पूजा-अर्चना के लिए 1001 पुजारी लगा रखे थे। मंदिर के मुख्य द्वार से गंगा बहती थीं। बताया जाता है कि इस शिवलिग का न तो आदि है और न ही अंत। विदेशों से भी भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। प्रत्येक सोमवार को मंदिर में रुद्राभिषेक किया जाता है। महाशिवरात्रि पर कई जनपदों के भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।

श्रीराम ने माता सीता को कराए थे दर्शन

बाबा गौरीशंकर मंदिर समिति के अध्यक्ष कमल टंडन ने बताया रामायण में उल्लेख है कि भगवान राम जब लंका विजय के पश्चात अयोध्या लौटे तो पुष्पक विमान से उन्होंने माता सीता को बाबा गौरीशंकर के दर्शन कराए थे। इसके अलावा कई पुराणों में भी इनका उल्लेख मिलता है। शिवलिग कितनी पुरानी है, इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। बाबा गौरीशंकर के पूरी दुनिया में भक्त हैं। महाशिवरात्रि और सावन माह के प्रत्येक सोमवार को यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं।

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