India News UP (इंडिया न्यूज़), Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि किसी को धर्मांतरण करवाने का अधिकार मिल गया हो। यह बयान एक अहम मुद्दे के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन करवाना किसी भी तरह से मान्य नहीं है। जानकारी के मुताबिक यह मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कोतवाली थाने से सामने आया था, जहां अजीम नामक एक व्यक्ति ने एक हिंदू महिला को जबरन इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया और उसके साथ यौन शोषण भी किया। इस घटना के बाद आरोपी अजीम ने कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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हाईकोर्ट ने कहा कि अजीम के कृत्य ने यूपी विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन किसी भी रूप में सहन नहीं किया जा सकता। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी को है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए। देखा जाए तो इस फैसले ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि जबरन धर्म परिवर्तन और यौन शोषण के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार, सभी व्यक्तियों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी और किसी भी प्रकार के अत्याचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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