India News UP(इंडिया न्यूज़), Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में गलतियों को स्वीकारते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट तैयार करके पेश करने का आदेश भी दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरक्षण के नियमों और BSA के तहत भी आदेश जारी किए हैं। जानकारी के मुताबिक, इस भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत सबसे पहले अखिलेश यादव की सरकार के दौरान हुई थी। उस समय शिक्षक भर्ती के विवाद के चलते यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने इस भर्ती की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ सरकार को सौंपी थी। योगी ने एक साथ 1 लाख 37 हजार पदों पर एक साथ नियुक्ति को असंभव बताया था, जिसके बाद कोर्ट ने दो हिस्सों में इस प्रक्रिया को विभाजित कर दिया।
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2018 में, योगी आदित्यनाथ ने इस भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया और 68500 शिक्षकों की भर्ती करवाई। इसके बाद 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई। इस मामले पर काफी विवाद के बाद अभी हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस आधार पर मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करे, जिसमें आरक्षण के नियमों का पूरी तरह पालन किया जाए। इस मामले में शिक्षकों और उम्मीदवारों को एक बार फिर से अपनी योग्यता साबित करनी होगी। दूसरी तरफ यह फैसला राज्य की शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। उम्मीदवारों और शिक्षकों को अब नई मेरिट लिस्ट का इंतजार है, जो उनकी भविष्य की राह को तय करेगी।
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