इंडिया न्यूज़, महोबा
PM Modi Remind end of Triple Divorce : भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को रिझाना शुरू कर दिया है। रिझाए भी क्यों नहीं उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव जो होने वाले हैं। बीजेपी सरकार ने मुस्लिम वोटों को भी रिझाने का भरसक प्रयाास शुरू कर दिया है। ऐसे समय में जब प्रदेश की सियासत में हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म में अंतर पर बहस छिड़ी हो, भारतीय जनता पार्टी की यह तकनीक विरोधी पार्टियों के लिए गहरी चिंता का विषय बन सकती है।
उत्तर प्रदेश के 3 दिन के दौरे पर आए प्रधान मंंत्री नरेंद्र मोदी ने महोबा में तीन तलाक के बहाने मुस्लिम महिलाओं को संदेश देने का प्रयास किया।
इस दोरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महोबा में ही मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने का वादा किया था। ओर अब हमने वादा पूरा कर दिया है। वैसे ये पहला बार नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं वोट के लिए लुभाने की प्रयास करती दिख रही है। उत्तर प्रदेश में चुनाव की आहट से ही बीजेपी ने पुर जोर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
इसी के तहत बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के 44 हजार नेताओं और कार्यकतार्ओं को ‘दूत’ बनाकर मुसलमानों के घर-घर मोदी-योगी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही एलट क्लास, कारोबारी और सामान्य परिवारों के पढ़े-लिखे मुसलमानों को जोड़ने के लिए प्रबुद्ध अल्पसंख्यक सम्मेलनों की रणनीति पर जोरों पर काम किया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों को विशवास है कि ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के नारे से बीजेपी मुसलमानों के एक वर्ग को अपने साथ जोड़ सकती है। तीन तलाक की वर्षों से पीड़ा झेल रही आबादी का दृष्टिकोण भी बीजेपी के प्रति सकारात्मक है और इसे वोटों में बदला जा सकता है। PM Modi Remind end of Triple Divorce
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुसलिम समुदाय की अहमियत हमेशा से रही है। इस बार यह अहमियत और भी ज्यादा हो गई है क्योंकि एक-एक सीट और एक-एक वोट के लिए पार्टियों के बीच संघर्ष की बनी हुई है।
एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में करीब 20 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। उत्तर प्रदेश राज्य के ज्यादा नहीं तो कम से कम 24 जिले ऐसे हैं जहां पर 20 से 60 प्रतिशसत तक मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। उत्तर प्रदेश में 143 सीटों पर मुसलमानों का अच्छा प्रभाव बताया जाता है। इममें से 73 सीटों पर मुसलमान 30 फीसदी से ज्यादा हैं और 70 सीटों पर 20 से 30 फीसदी के बीच।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि परम्परागत रूप से मुस्लिम समाज के लोग मतदान करते समय अपने मुद्दों को ध्यान में रखते हंै। सूबे में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस मुस्लिम वोटों पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश करती आई हैं।
इधर, कुछ वर्षों से मैदान में आई असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी अपना हक जताना शुरू कर दिया है। अब भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने तरीके से मुसिलम वोटों में सेंध लगाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
सन् 2017 के चुनाव में कई विश्लेषकों का अनुमान था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों का वोट देने का तरीका बदला है। इस बात पर तरह-तरह के कयास भी लगने लगे थे। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें मिल गई थीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम प्रभाव वाली कई सीटों पर भारतीय जनता पार्टी जीती थी।
इस बात को लेकर राजनीति के जानकारों ने भारतीय जनता पार्टी की नई संभावनाओं पर सोचना शुरू कर दिया था लेकिन इस चुनाव में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी इस सम्भावनाओं को टटोलता नजर आ रहा है तो पार्टी में हर स्तर पर प्रयास आरंभ हो गया है। यह प्रयास यदि कुछ प्रभाव लाता हो तो मुस्लिम समुदाया के वोटों के पैटर्न में वाकई परम्परा से हट कर थोड़ा-बहुत भी फेरबदल होता है तो यह सूबे की बड़ी ताकतों मे से किसी के लिए जीत और किसी के लिए हार का सबब बन सकता है।
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