इंडिया न्यूज, गोरखपुर:
500 People Signed Petition Two Days: समाचारों में हक को लेकर जेएनयू और डीयू के छात्र ही तरह तरह के तरीके के आंदोलन को लेकर चर्चा में रहते थे लेकिन इस बार गोरखपुर यूनिवसिटी के स्टूडेंट शिक्षा के अधिकार को लेकर डिजिटल आंदोलन को लेकर सुर्खियों में हैं।
विश्वविद्यालय के प्री पीएचडी सत्र 2019-20 के छात्रों ने फिर विश्वविद्यालय प्रशासन के विरूद्ध डिजिटल आंदोलन छेड़ा और अपना हक भी ले लिया। यह पहला अवसर है जब किसी समूह ने अमेरिकन वेबसाइट पर डिजिटल मुहिम छेड़ी हो।
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विद्यार्थियों ने चेंज डॉट ओआरजी वेबसाइट से पेटीशन हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया। दो दिन में करीब 500 लोगों ने इस पेटीशन पर साइन किया है। पेटीशन साइन एक तरह से हस्ताक्षर अभियान का वर्चुअल रूप है। इसमें देश-दुनिया के हर कोने से लोग हस्ताक्षर कर सकते हैं। जबकि हस्ताक्षर अभियान में मौके पर उपस्थित रहना होता है। गोरखपुर में इस तरह की मुहिम पहली बार छेड़ी गई है।
500 से अधिक पेटीशन साइन हो जाने पर यह पब्लिक डोमेन में आ जाता है। उसके बाद यूजर्स के पास यह पेटीशन देखने के लिए वेबसाइट की तरफ से रिकमेंडेशन पहुंचने लगता है। मुहिम की शुरुआत करने वाले अमर ओझा ने बताया कि इस मुद्दे पर लोगों से समर्थन मांगा जा रहा है।
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समाचार सूत्रों के अनुसार प्री पीएचडी के छात्र अमर ओझा ने कुलपति के नाम से पेटीशन साइन अभियान चलाया है। अमर ओझा ने पेटीशन में मांग की है कि सत्र 2019-20 के छात्रों की प्री पीएचडी परीक्षा कराई जाए या उन्हें प्रमोट किया जाए। इस अभियान के समर्थन के लिए छात्र इस पेटीशन का लिंक व्हाट्सप, फेसबुक और ट्विटर पर भी खूब शेयर किया जा रहा है।
चेंज डॉट ओआरजी अमेरिकन पेटीशन वेबसाइट है। दुनिया भर में इसके 400 मिलियन से अधिक यूजर हैं। यह दुनिया भर के लोगों को अपने मुद्दों को प्रमोट करने के लिए मंच उपलब्ध कराता है।
अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में भी इन छात्रों ने जस्टिस फॉर स्कॉलर्स अभियान चलाया था। उस दौरान ट्विटर पर छात्रों ने इसे ट्रेंड कराया था। उनका यह मुद्दा सखियों में रहा था।
छात्रों के अमेरिकन वेबसाइट के माध्यम से अपने लिए समर्थन जुटाने के बीच विवि प्रशासन ने 2019-20 के प्री पीएचडी कोर्स के विद्यार्थियों के रिसर्च मेथोडोलॉजी और पब्लिकेशन एथिक्स तथा कंप्यूटर एप्लीकेशन की परीक्षा कराए जाने की घोषणा की है।
विवि प्रशासन के मुताबिक शोध अध्यादेश- 2018 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार 20 से 24 दिसम्बर के बीच परीक्षा होगी। यहां बता दें कि 16 नवम्बर को प्री पीएचडी विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय परिसर के सभी गेट बंद कर करीब 10 घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया था।
प्री पीएचडी का कोर्स वर्क 6 महीने में पूरा हो जाता है। इसके बाद परीक्षा होती है। उत्तीर्ण होने पर पीएचडी में पंजीकरण होता है। सत्र 2019-20 के करीब 900 विद्यार्थियों ने कोर्स वर्क करीब पूरा कर लिया था। परीक्षा से पहले कोरोना महामारी आ गई। इससे उनकी परीक्षा नहीं हो सकी। करीब ढाई साल बीत जाने के बाद भी उनकी छह महीने की प्री पीएचडी पूरी नहीं हो पाई।
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