इंडिया न्यूज, लखनऊ (Suresh Khanna in UP) : किसी आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक सजा पाया व्यक्ति सोसाइटी का सदस्य नहीं हो सकेगा। साथ ही सोसाइटी की अचल संपत्ति बिना सक्षम न्यायालय के न तो ट्रांसफर हो सकेगी और न ही उसकी बिक्री हो सकेगी। यह जानकारी वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने दी।
उन्होंने कहा कि यूपी में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम-1860 में समय की मांग के अनुसार जरूरी महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। इसके तहत उप रजिस्ट्रार, सहायक रजिस्ट्रार और एसडीएम के निर्णयों के विरुद्ध संबंधित मंडलायुक्त के यहां अपील हो सकेगी। पहले अपील के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ता था।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी देते हुए ने बताया कि सोसाइटी की मुश्किलों को दूर करने के लिए समय-समय पर इस अधिनियम में राज्य स्तर पर संशोधन किए जाते रहे हैं। इसलिए सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2021 के अधिनियम के कुछ प्राविधानों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। इस अधिनियम के अधीन संस्थाओं के पंजीकरण व नवीनीकरण, सोसायटी के सदस्यों के चयन व निर्वाचन के संबंध में उप रजिस्ट्रार, सहायक रजिस्ट्रार और विहित प्राधिकारी (उपजिलाधिकारी) के निर्णयों के विरुद्ध मंडलायुक्त के यहां अपील हो सकेगी।
सोसाइटी के सदस्यों की चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए जाने के उद्देश्य से अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि शासी निकाय के अनुमोदन के बाद ही साधारण सभा की सूची में कोई भी परिवर्तन हो सकेगा। संशोधन के पूर्व अधिनियम में साधारण सभा की सूची में नए सदस्यों के आने, हटाये जाने, सदस्यों की मृत्यु और त्याग पत्र देने के बाद परिवर्तन के लिए एक माह में संशोधित सूची बिना शासी निकाय के अनुमोदन के रजिस्ट्रार को दाखिल करने की व्यवस्था थी।
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