इंडिया न्यूज यूपी/यूके, गोरखपुर: जान जोखिम में डाल पहुचे परीक्षार्थी, ट्रेन के ट्रेक पर कुद्द्ते अभियार्थी, ट्रेनों में साधारण कोच, स्लीपर कोच और एसी कोच सब एक समाना, सभी में छात्र छात्राए ठुसे, जी हां ये तश्वीर आपको भी थोड़ा हैरान और परेशान कर देगी, ट्रेनों से लेकर बसों तक के हालत बत से बत्तर, परीक्षार्थी किसी तरह से जंग लड़ते हुए पहुचे और उसी स्ट्रेच में परीक्षा दिए और अब उनके जाने का भी डर उन्हें सता रहा था, क्योकि आने की तश्विरे इन्हें सोच कर ही डरा रही थी, देखिये इंडिया न्यूज़ पर ये आफत की परीक्षा |
परीक्षा या जंग
ये परीक्षा है, या जंग, ट्रेन में जगह नहीं, बसों में सीट नहीं जी हां कल से उत्तर प्रदेश में हो रहे PET की परीक्षा अभ्यर्थियों के लिए किसी जंग जितने से कम नहीं है, किसी का ढाई सौ तो किसी का 400 किलोमीटर दूर पड़े परीक्षा केंद्र उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है, और इसमें सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओ और लडकियों को उठानी पड़ी, गोरखपुर की बात करे, तो यहाँ भी लाखो की संख्या में आए अभ्यर्थियों को जंग लड़ कर परीक्षा केन्द्रों पर पहुच रहे है, पेपर आसान होने के नाते भी ये पेपर अच्छे से नहीं दे पाए, क्योकि दिमागी स्ट्रेच होने के नाते इन्हें पेपर देने में दिक्कत हुई है, अब ऐसे में इस दुश्वारियो के बीच परीक्षा देकर निकल रहे अभ्यर्थियों की बात करे या फिर परीक्षा देने जाने वाले अभ्यर्थी सभी इस परेशानी से दो चार हुए है, इस दौरान गोरखपुर के दिग्विजयनाथ डिग्री कालेज के पास पहुचे अभ्यर्थियों से ख़ास बात चित की हमारे इंडिया न्यूज़ संवाददता सुशील कुमार ने |
अभ्यर्थियों ने सुनाई आपबीती
कोई जौनपुर से कोई वाराणसी से तो कोई प्रयागराज से तो कोई बलिया से जिले भले ही अलग थे, लेकिन परेशानी सभी के लिए एक ही थी, आने जाने के लिए किसी जंग लड़ने के सामान के हालात थे, फिर भी किसी तरह से ये लोग धक्के खाते जानवरों की तरह ढूस कर परीक्षा केंद्र पर पहुचे और परीक्षा देने के बाद जब वो बाहर आए तो बच्चो ने जो आप बीती बताई वो सुन कर कर ये लग रहा था, कि सरकार की सारी व्यवस्थाये धरी की धरी रह गई, ट्रेनों में ढूस कर जाने को ये अभ्यर्थी मजबूर थे |
गोरखपुर में जिस तरह से हालत है, वही हालात लगभग लगभग सभी जिलो के है, सभी जगह एक बोगी में बच्चे भर कर किसी तरह से अपने परीक्षा केन्द्रों पर पहुचे और फिर वापसी में जंग लड़ कर घर आए, ऐसे में इन अभ्यर्थियों की माने तो सरकार को जो व्यवस्था करनी चाहिए थी, वो व्यवस्था मुकम्मल न होने से इस तरह की दुश्वारिया झेलनी पड़ी, लग रहा था, कि कोई विभाजन की स्थिथि है, और बटवारे में हम लोग जा रहे है, अब ऐसे में 37 लाख अभ्यर्थियों को लेकर किस तरह से व्यवस्था का खाका तैयार किया गया था, जो ग्राउंड पर नहीं पहुच पाया ये एक बड़ा सवाल है।