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Kashi Tamil Sangmam: पीएम मोदी बोले- ये संगम गंगा-जमुना जितना ही पवित्र, पढ़िए खास बातें

• LAST UPDATED : November 19, 2022

Kashi Tamil Sangmam

इंडिया न्यूज, वाराणसी (Uttar Pradesh) । काशी शनिवार को दक्षिणी सभ्यता से सराबोर दिखी। मौका था काशी तमिल संगमम का। इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। पीएम मोदी भी दक्षिण के खास पहनावे सफेद शर्ट, गमछा और सफेद धोती में थे। पीएम जब मंच पर पहुंचे तो तमिल के प्रसिद्ध संगीतकार व राज्यसभा सांसद इळैयराजा और उनके शिष्यों ने साज-सज्जा के साथ ऊँ, गणेश, शिव, शक्ति, समेत अन्य देवगणों का मंत्र स्तुति के साथ आह्वान किया। इस स्वरांजलि की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पीएम मोदी और सीएम योगी समेत तमाम मौजूद लोग ताली बजाते रहे।

वाराणसी में काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में मौजूद लोग।

बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में पीएम मोदी ने कहा कि काशी-तमिल संगमम गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है। पढ़िए पीएम मोदी की खास बातें-

– हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों व विचारधाराओं, ज्ञान व विज्ञान और समाजों व संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है। इसलिए ‘काशी-तिमल संगमम’ अपने आप में विशेष और अद्वितीय है।

– काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान रामेश्वरम का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु, दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। ‘काशी-कांची’ के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है।

– हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। काशी तमिल संगमम इस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा।

– मेरा अनुभव है, रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर राजाजी और सर्वेपल्लि राधाकृष्णन तक, दक्षिण के विद्वानों के भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते।

– हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा ‘तमिल’ है। आज तक ये भाषा उतनी ही पॉपुलर हैं और उतनी ही alive है। दुनिया में लोगों को जब पता चलता है कि विश्व की सबसे पुरानी भाषा भारत में है तो उन्हें आश्चर्य होता है।

– एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा-यमुना के संगम जितना ही पवित्र है।

– हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। ‘काशी-तमिल संगमम्’ इस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा।

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