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Uttar Pradesh: बसपा प्रमुख मायावती ने डॉ. अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि, कहा- बेहतरीन संविधान देने के लिए देश आभारी

• LAST UPDATED : December 6, 2022

Uttar Pradesh

इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस देश भर में कार्यक्रम हुए। इसी क्रम में मंगलवार को बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मायावती ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर ने बेहतरीन संविधान देकर भारत का नाम देश-दुनिया में जो रोशन किया है वह अनमोल है। देश उनका सदा आभारी है।

मायावती की तीन बड़ी बातें पढ़िए

1. देश को पूर्ण जनहितैषी, कल्याणकारी व समतामूलक संविधान देकर धन्य करने वाले परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर शत्-शत् नमन। उन्होंने हर मामले में बेहतरीन संविधान देकर भारत का नाम देश-दुनिया में जो रौशन किया है वह अनमोल। देश उनका सदा आभारी।

2. देश की सरकारें काश उस संविधान के पवित्र उसूलों के तहत कार्य करती तो यहाँ करोड़ों गरीब व मेहनतकशों को काफी मुसीबतों से कुछ मुक्ति मिल गई होती। संविधान के आदर्श को ज़मीनी हकीकत में बदलकर लोगों के अच्छे दिन लाने की ज़िम्मेदारी में विमुखता व विफलता दुखद, चिन्तनीय।

3. बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का नाम आते ही संवैधानिक हक के तहत लोगों के हित, कल्याण, उनके जान-माल-मज़हब की सुरक्षा तथा आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीने की गारण्टी की याद आती है। अतः रोज़ी-रोटी, न्याय, सुख-शान्ति व समृद्धि से वंचित लोगों की सही चिन्ता ही उन्हें सच्ची श्रद्धाजलि।

क्यों मनाया जाता है परिनिर्वाण दिवस?
हर साल 6 दिसंबर को डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’ यानी मौत के बाद निर्वाण। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में एक है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति निर्वाण करता है। वह सांसारिक मोह माया, इच्छा और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है। साथ ही वह जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है। लेकिन निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है। इसके लिए सदाचारी और धर्म सम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बौद्ध धर्म में 80 वर्ष में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।

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