Uttarakhand
इंडिया न्यूज, देहरादून (Uttarakhand)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एलीफैंट कॉरिडोर के मामले में एक बार फिर हस्तक्षेप किया है। उच्च न्यायालय द्वारा यह हस्तक्षेप सरकार के विरुद्ध आई शिकायत पर किया गया है। न्यायालय के पास हाल ही में एक शिकायत आई थी कि प्रदेश सरकार प्रदेश के उच्च न्यायालय के दिए निर्देश का अनुपालन नहीं कर रही है।
राज्य सरकार से मांगी अनुपालन रिपोर्ट
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एलीफैंट कॉरिडोर के मामले में 26 अगस्त के आदेश पर गुरुवार को राज्य सरकार से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। मामला कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास एलीफैंट कॉरिडोर को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने और ऐसे एलीफैंट कॉरिडोर में आने वाले क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का था।
27 फरवरी तक की दी तारीख
याचिकाकर्ता इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव ने हाल ही में अदालत को सूचित किया कि सरकार ने उसके आदेश का पालन नहीं किया है, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 27 फरवरी तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
यह है पूरा मामला
इंडिपेंडेंट मेडिकल इनिशिएटिव ने 2019 में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि राज्य में 11 हाथी गलियारे मार्गों पर वाणिज्यिक भवन और सार्वजनिक सड़कें हाथियों के व्यवहार को प्रभावित कर रही हैं, जो हिंसक हो रहे हैं। जनहित याचिका में यह भी कहा गया था कि जंगलों में मानव अतिक्रमण को रोकने के बजाय हाथियों को मिर्च पाउडर और पटाखों का उपयोग करके निर्दिष्ट गलियारों में प्रवेश करने से रोका जा रहा है। 26 अगस्त को, अदालत ने सरकार से हाथी परियोजना के तहत सीमांकित पारंपरिक हाथी गलियारे का संरक्षण तुरंत शुरू करने और हाथियों की आवाजाही के लिए अंडरपास की व्यवस्था किए बिना किसी भी सड़क का निर्माण नहीं करने के लिए भी कहा।