इंडिया न्यूज, मथुरा:
Atmosphere is Still Tense in Mathura: दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी यानी 6 दिसंबर को, शाही ईदगाह मस्जिद में जलाभिषेक के बाद लड्डूगोपाल का अभिषेक करने और मूर्ति स्थापित करने की घोषणा के बाद से मथुरा में अभी तक तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। हिंदू संगठनों की दी हुई तारीख यानी 6 दिसंबर तो बीत गया है लेकिन पुलिस और प्रशासन अभी भी अर्लट मोड पर है और अभी मस्जिद और मंदिर के बाहर तीन लेयर की सुरक्षा तैनात की गई है।
आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्णा ने कहा है कि आज का दिन तो शांति से गुजर गया लेकिन हमें सतर्क रहना होगा। खासतौर से सोशल मीडिया को लेकर क्योंकि वो गंभीर चिंता का विषय है। अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद आस पास ही हैं। हिंदू संगठनों का दावा है कि यहां पहले श्रीकृष्ण का मंदिर हुआ करता था, जिसे 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने तुड़वा दिया था।
अदालत में हिंदू संगठनों ने 2 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच हुए समझौते को गलत बताते हुए याचिका दायर की है और मांग की है कि इस समझौते को निरस्त किया जाए और ईदगाह मस्जिद की जमीन हिंदू पक्ष को सौंपी जाए।
खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भांजे की पौत्री बताने वाली अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने पिछले महीने प्रेसवार्ता कर कहा था कि 6 दिसंबर को ईदगाह मस्जिद के अंदर लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करेंगे और उसका जलाभिषेक करेंगे। हिंदू महासभा की इस धमकी के चलते जनपद में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी और धारा 144 को लागू कर दिया गया था। मथुरा में जगह-जगह पर सुरक्षाबल तैनात है जिसकी वजह से शांति थी, लेकिन सोमवार दोपहर को कृष्ण जन्मभूमि के सामने 5 लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए थे, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था।
ईदगाह मस्जिद में लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापना की धमकी देने वाले चारों हिंदू संगठनों में से एक भी यहां नहीं आया। लेकिन मुस्लिम समुदाय में थोड़ी चिंता दिखाई दी। जनपद में तैनात भारी सुरक्षाबल के बीच मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग अपने घर के बाहर बैठकर निगरानी करते नजर आए। पिछले कुछ दिनों से ईदगाह मस्जिद में आने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा देखने को मिला।
Read More: SC-ST Act Imposed on 3 Barbers: अनुसूचित जाति वालों के बाल काटने से करते थे इनकार