UP Nikay Chunav
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh)। उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान याची पक्ष और सरकारी पक्ष के वकील की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख दिया है। कोर्ट फैसला अब 27 दिसंबर को सुनाएगा।
मुख्य याचिकाकर्ता पीयूष पाठक ने कहा कि आज सुनवाई के दौरान हर तथ्य रखे गए हैं। कोर्ट ने पूरी बातें सुनी हैं। 1990 के मंडल कमीशन में 20 फीसदी आरक्षण का पक्ष रखा है। सरकार ने उसी को आधार माना है, उसी पर नोटिफिकेशन दिया है। लेकिन हम लोगो की यही लगातार मांग है कि मंडल कमीशन में केवल सोशल आयोग बनाने की बात चल रही है। अब कोर्ट के फैसले का इंतजार है।
सरकार ने कहा- 2017 में हुए सर्वे को आधार माना जाए
शुक्रवार को समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ में बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है। वहीं, राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए।
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