UP Politics: स्वामी प्रसाद के रामचरितमानस वाले बयान पर चल रहे विवाद के बीच मायावाती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने इस विवाद को सपा और बीजेपी की मिली भगत बताया है। बसपा सुप्रीमों का कहना है कि समाजवादी पार्टी और बीजेपी धर्म की राजनीति करने में विश्वास करते हैं। इस प्रकार की बयानबाजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए की जाती है। मायावती ने इस मामले में ट्वीट किया है और सपा समेत बीजेपी को भी घेरा है। मायावती ने इससे पहले मुगल गार्ड के नाम बदलने को लेकर अपनी बात रखी थी और बीजेपी की केंद्र सरकार को घेरा था।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने एक के बाद एक ट्वीट किया और रामचरितमानस विवाद को बीजेपी-सपा की मिली भगत बताया। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि “संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।”
1. संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।
— Mayawati (@Mayawati) January 30, 2023
आगे उन्होंने लिखा कि रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके। उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहाँ सत्ता में आ गई। ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी।”
उल्लेखनीय है कि हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था जिसके बाद प्रदेश में राजनीति गरमा गई थी। बीजेपी ने इसे सपा की सोच बताया था लेकिन सपा ने इसे स्वामी प्रसाद का निजी बयान बताया था। बीजेपी का कहना था कि अगर सपा इसे स्वामी प्रसाद का बयान मानती है तो उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकालती है।
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