Ramcharitmanas Row: स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य ने फैसला बदलते हुए कहा कि, ‘मैं चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं और यह सुनिश्चित कर रही हूं कि मेरी पार्टी दोबारा सत्ता में वापस आए। दुसरे मुद्दों पर बोलने का समय नहीं है।‘
बता दें कि, बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस के टिप्पणी के कारण हुए विवाद से खुद को किनारा कर लिया है। खुद को विवाद से अलग करते हुए संघमित्रा ने कहा कि, ‘मैं चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं साथ ही यह सुनिश्चित कर रही हूं कि मेरी पार्टी दोबारा सत्ता में वापस आए। चुनाव के अलावा किसी दुसरे मुद्दे पर बोलने का वक्त नहीं हैं।‘ बता दें कि, एक दिन पहले ही उत्तर-प्रदेश बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने संघमित्रा से अपना स्टैंड स्पष्ट करने को कहा था, क्योंकि वो बीजेपी की सांसद है। इसलिए उन्हें पार्टी की विचारधारा का पालन करना जरूरी है।
संघमित्रा ने कुछ वक्त पहले कहा था कि, रामचरितमानस पर उनके पिता की दी गई टिप्पणी विवाद का विषय नहीं बल्कि चर्चा का विषय है। उन्होंने कहा कि, ‘मुद्दे की आलोचना करके उसपर चर्चा की जानी चाहिए कि किसी एक विशेष बात पर बार-बार विवाद क्यों हो रहा है?’ विशेषज्ञों का मानना है कि, क्योंकि लोकसभा चुनाव अभी एक साल की दूरी हैं, इसलिए संघमित्रा पार्टी को किसी भी संभावित प्रतिक्रिया को टालते हुए सावधानी से चलना चाहती हैं। माना जा रहा है कि, बीजेपी नेतृत्व भी ओबीसी समुदाय को नाराज न करने के लिए अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है।
बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि पार्टी इस बात से अवगत है कि, समाजवादी पार्टी निकाय और फिर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए ओबीसी, दलितों और मुसलमानों को मिलाकर एक नया समुदाय बनाना चाहती है।
संघमित्रा ने पिछले साल खुद को एक कठिन परिस्थिती में पाया, जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी के खिलाफ विद्रोह का झंडा फहराया था फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। संघमित्रा ने उस वक्त कहा था कि, उनके पिता ने अपने समुदाय के हितों के लिए बीजेपी को छोड़ दी।
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