UP Politics: मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि देश में जाति व्यवस्था भगवान ने नही बल्कि ब्राह्मणों ने बनाई है। इस बात पर अयोध्या के संतो नें आपत्ति जताई है। तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को शास्त्रार्थ की चुनौती देते हुए पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के चौथे अध्याय के 13 श्लोक का प्रमाण देते हुए कहां कि वर्ण व्यवस्था का गठन ईश्वर ने किया है।
जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत में खुद भगवान ने वर्णन किया है कि वर्ण व्यवस्था को भगवान ने लागू किया है पंडितों को झूठा बदनाम ना किया जाए। इसके साथ ही पत्र लिखकर जगदगुरू परमहंस आचार्य ने मोहन भागवत को शास्त्रार्थ की चुनौती भी दी है। जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि या तो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुझ से शास्त्रार्थ स्वीकार करें अन्यथा अपने बयान को वापस ले।
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वर्ण व्यवस्था के लिए बयान दिया था कि वर्ण व्यवस्था पंडितों ने बनाई है। परमहंस ने कहा कि आज हमने संघ प्रमुख मोहन भागवत जी को पत्र भेजा है और शास्त्रार्थ के लिए ससम्मान आमंत्रित किया है। श्रीमद्भागवत का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि है अर्जुन चारों वर्ण का निर्धारण मेरे द्वारा किया गया है।
यह श्रीमद्भागवत गीता के चतुर्थ अध्याय का तेरवा श्लोक है जिसको वह पढ़ भी सकते हैं जगतगुरु ने कहा कि जैसा उन्होंने पंडितों के ऊपर आरोप लगाया है वह गलत है। मुगल काल में सनातनीयों को आपस में बांटने के लिए एक जहर घोला गया था। लोगों को छोटा बड़ा दिखाने के लिए परमहंस ने कहा कि हमारे समाज में कभी भी किसी काल में छुआछूत नहीं रहा या मुगलों की साजिश थी जिस पर ब्रिटिश सरकार ने भी डिवाइड एंड रूल के तहत भ्रम पैदा किया। तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर ने कहा कि अब वक्त है सब को एकजुट होकर के देश को आगे बढ़ाने का।