UP Politics: सपा नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया था। उन्होंने रामचरित मानस से उन पंक्तियों को हटाने की बात कही थी जिसमे कुछ जातिगत टिप्पणी की गई है। वहीं उनके बयान के बाद से प्रदेश में जोरदार राजनीति हुई थी। स्वामी अपने बयान पर लागातार अडिग है।
उनका कहना है वो हर उस चीज का विरोध करेंगे जिसमे दलित, पिछड़ों के अपना की बात कही गई है। उनका कहना है कि देश भर से जातियों का नाम मिटना चाहिए। जाति धर्म के आधार पर दलित, पिछड़ों और महिलाओं का शोषण किया जा रहा है। आज उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि जाति जैसी व्यवस्था को हटाना चाहिए।
सपा के राष्ट्रीय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “संघ प्रमुख जी, जब तक मुँह, बाहुँ, जंघा व पैर से वर्ण पैदा करने वाले मनुस्मृति सहित अन्य तमाम ग्रन्थ रहेंगे तब तक जातियाँ रहेंगी और जब तक जातियाँ रहेंगी तब तक छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव व असमानता भी रहेगा यदि जातियाँ खत्म करनी ही है, तो पहले विषाक्त ग्रंथ व साहित्य प्रतिबंधित करायें।”
संघ प्रमुख जी, जब तक मुँह, बाहुँ, जंघा व पैर से वर्ण पैदा करने वाले मनुस्मृति सहित अन्य तमाम ग्रन्थ रहेंगे तब तक जातियाँ रहेंगी और जब तक जातियाँ रहेंगी तब तक छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव व असमानता भी रहेगा यदि जातियाँ खत्म करनी ही है, तो पहले विषाक्त ग्रंथ व साहित्य प्रतिबंधित करायें।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) February 20, 2023
दरअसल बिहार के शिक्षा मंत्री के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी की थी। मौर्य ने कहा था कि रामचरित मानस जैसे ग्रंथ से उस पंक्ति को सरकार हटाए जिसमे महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के अपमान की बात कही गई थी। इसी के साथ उन्होंने एक बार फिर से कहा कि उन सभी धार्मिक किताबों को भी बंद किया जाए जिसमे महिलाओं समेत किसी के भी अपमान के बात कही गई है।
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