(SP leader Swami Prasad Maurya warmed the atmosphere by tweeting): सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने (UP) एक बार फिर ट्वीट करके राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया हैं। उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि नारी शुद्रो न धीयताम यानी नारी व शुद्र को पढ़ने का अधिकार नहीं है। वहीं इसके बाद लिखा शम्बूक ने पढ़ाने का प्रयास किया तो सिर काट दिया। द्रोणाचार्य के मना करने पर एकलव्य धर्नुधर बना तो अंगूठा काट लिया गया।
सपा नेता ने लिखा कि ताड़ना का मतलब बताने वाले या तो खुद नादान हैं या फिर जनता को नादान समझते हैं। वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि शिक्षा का अधिकार तो साहूजी महराज और डा. अंबेडकर के प्रयासों से संविधान से मिला है।
आपको बता दे सपा नेता स्वामी प्रसाद का यह ट्वीट उस वक्त आया हैं। जब एक दिन पहले ही सदन में इस पर जमकर हंगामा हुआ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जवाब दे चुके हैं। स्वामी प्रसाद के ट्वीट को राजनीति तौर पर सीएम द्वारा सदन में दिए गए बयान से जोड़कर देखा जा रहा हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश के चुनावों में मिल रही लगातार हार के बाद अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, अखिलेश ने मुलायम की पुरानी नीति पर चलने का मूड बना लिया है। यानी की मुस्लिम और यादव वोट बैंक के समीकरण को सहेज के रखने की रणनीति।
हालांकि अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है, वह यादव वोट बैंक के साथ-साथ दूसरी पिछड़ी जातियों को जोड़ने में लगे हुए हैं। इसके लिए वह लगातार हो रहे चुनावों में छोटे-छोटे दलों को जोड़ने में लगे हुए हैं।
जिसका फायदा उन्हे यूपी के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला समाजवादी पार्टी सरकार बनाने में सफल तो नही हुई लेकिन पिछले चुनाव परिणाम की तुलना में काफी अच्छा परिणाम मिला।
अखिलेश यादव दलित वोट बैंक पर भी डोरे डाल रहे हैं। सपा प्रमुख लगातार अपने बयानों में इस बात के तरफ इशारा करते है कि मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी अब बीजेपी को बी टीम बन चुकी है।
वहीं स्वामी प्रसाद के बयानों पर नजर डाले तो अखिलेश यादव की रणनीति साफ हो जाती है की आखिर सपा प्रमुख किस रणनीति के तहत काम कर रहे हैं।