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Holi in UP: यूपी में यहां खेली जाती है ‘क्रांतिकारी’ होली, सात दिन तक होता है इसका आयोजन, पहली बार 1942 में खेली गई

• LAST UPDATED : March 8, 2023

Holi in UP: आज देशभर में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ होली का त्योहार मनाया जा रहा है। वैसे तो उत्तर प्रदेश की ब्रजधाम की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है। लेकिन आज हम आपको यूपी के एक ऐसे होली के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ सांस्कृतिक तौर बल्कि ऐतिहासिक तौर पर भी प्रसिद्ध है। देश और दुनिया में बहुत सी क्रांतियां हुईं। लेकिन रंग खेलकर बगावत की परंपरा कानपुर में डाली गई। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आक्रोश और विरोध तो था ही, लेकिन भारतीयता के प्रति स्नेह और सौहार्द भी था। उसी बगावत की याद में आज भी यहां होली के सात दिन बाद गंगा मेला के दिन हटिया मोहल्ले से रंगों का ठेला निकलता है और रंगों से सराबोर संकरी गलियों में अपनापन का फूल बरसता है। शाम को सरसैया घाट किनारे शहर के सबसे बड़े होली मिलन समारोह में गंगा-जमुनी तहजीब मुस्कुराती है। पहले हटिया ही कानपुर का दिल होता था। यहां बड़े स्तर पर लोहा, कपड़ा और गल्ले का कारोबार होता था। हटिया के कारोबारी गुलाबचंद सेठ हर साल होली पर एक विशाल आयोजन करते थे।

इसके पीछे की ये है पूरी कहानी

साल 1942 होली का ही दिन था। अंग्रेज अधिकारी आए और आयोजन बंद करने को कहा। सेठ ने इससे साफ इन्कार किया तो गुस्साए अंग्रेज अधिकारियों ने गुलाबचंद को गिरफ्तार कर लिया। इसका विरोध करने पर जागेश्वर त्रिवेदी, पं. मुंशीराम शर्मा सोम, रघुबर दयाल, बालकृष्ण शर्मा नवीन, श्यामलाल गुप्त पार्षद, बुद्धूलाल मेहरोत्रा और हामिद खां को भी गिरफ्तार कर जिला जेल, सरसैया घाट में बंद कर दिया गया।इन गिरफ्तारियों से लोगों की जनभावनाएं भड़क उठीं। शहर के लोगों ने एक अनोखा सा आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानी ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। हिंदू-मुस्लिम सभी मिलकर हटिया ही नहीं, शहर के अलग-अलग हिस्सों में बस होली ही खेल रहे थे लेकिन विरोध का यह तरीका अंग्रेजी हूकूमत को डराने का एक बड़ा हथियार बना। घबराए अंग्रेज अफसरों ने गिरफ्तारी के आठवें दिन ही लोगों को छोड़ दिया। यह रिहाई अनुराधा नक्षत्र के दिन हुई। फिर क्या था, होली के बाद अनुराधा नक्षत्र का दिन कानपुर के लिए त्योहार का दिन बन गया।जेल से छूटे लोगों के लिए जेल के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ पहुंची और वहीं एकत्र होकर सभी ने एक-दूसरे के साथ खुशी मनाई। हटिया आकर यहां से रंग भरा ठेला निकाला गया और जमकर रंग खेला गया। शाम को गंगा किनारे सरसैया घाट पर मेला लगा और फिर यह एक परंपरा सी चल पड़ी। तबसे कानपुर में होली का समापन अनुराधा नक्षत्र की तिथि अनुसार लगभग सात दिन बाद गंगा मेला के साथ ही होता है।

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