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UP Politics : सपा खड़ी कर सकती है BSP के मुश्किलें, लोकसभा चुनाव को लेकर इन नेताओं पर खेला जा सकता है दांव

• LAST UPDATED : March 22, 2023

इंडिया न्यूज: (SP can create problems for BSP,): आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है। जिसे लेकर ज्लद ही रणनीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। बता दें की पार्टी मैनपुरी मॉडल (Mainpuri Model) के बाद अपना फोकस दलित वोट बैंक पर शिफ्ट करने जा रही है।

वहीं अब कोलकाता में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी मंथन 2024 को लेकर मैनपुरी मॉडल भी खूब चर्चा में रहा । बता दें, मैनपुरी में जिस तरह से सपा ने बड़ी जीत हासिल कर अहम भूमिका निभाई है, उसमे दलित वोट बैंक की भी हिस्सेदारी रही है। आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सपा 50 सीटें जीतने की जो बात कह रही है, उसमे दलित वोट बैंक की काफी अहम भूमिका रहने वाली है।

खबर में खासः-

  • लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपनी तैयारी शुरु कर दी
  • पार्टी का फोकस दलित वोट बैंक पर शिफ्ट हो गया
  • इन नेताओं को दी जाएगी तरजीह
  • मैनपुरी मॉडल की रणनीति पर बढ़ेगी सपा

इन नेताओं को दी जाएगी तरजीह

बता दें अपको की इस समाज से आने वाले दो वरिष्ठ नेताओं पर समाजवादी पार्टी ने अब अपना फोकस कर दिया है। जिसमें एक अवधेश प्रसाद हैं, जो आपको अखिलेश यादव के साथ हर जगह नजर आ जाएंगे, वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नेता जो केंद्र सरकार में मंत्री रहे रामजीलाल सुमन जो जाटव समाज से आते हैं। जहां पार्टी ने अब तय किया है कि इन्हें दलित फेस के तौर पर आगे रखा जाएगा। वहीं इसकी शुरुआत भी कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हो चुकी है। जहां दोनों को मंच पर जगह दी गई, जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर जैसे तमाम नेताओं को तरजीह नहीं दी गई।

मैनपुरी मॉडल की रणनीति पर बढ़ेगी सपा

दरअसल जहां सपा कभी एमवाई समीकरण पर चुनावी रणनीति तैयार करा करती थी। वहीं अब उसके दलित वोट बैंक पर शिफ्ट होने के पीछे एक बड़ी वजह है, क्योंकि प्रदेश में ज्यादातर 11 फीसदी जाटव समाज का वोट है, तो वहीं 3 फीसदी पासी समाज का वोट है। बाकी इसके अलावा 2 फीसदी अन्य दलित समाज का वोट बैंक है. इसीलिए सपा को लगता है कि 2022 में जिस तरीके से बसपा का वोट प्रतिशत घटकर 12 फीसदी रह गया है इसका फायदा वो 2024 में उठा सकते हैं। सपा जानती है कि 2014 से 2022 तक बीजेपी को जो जीत मिली है उसमें दलित वोट बैंक की अहम भूमिका रही।

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