इंडिया न्यूज, लखनऊ:
Bank Strike Lucknow सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को निजीकरण किए जाने के विरोध में यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले बैंक कर्मी वीरवार से दो दिनों की हड़ताल पर चले गए हैं। इस कारण बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। इसके चलते बैंक ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। गुरुवार को बैंक कर्मी सुबह से ही स्टेट बैंक मुख्यालय पहुंच गए और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने लगे।
नेशनल कंफेडरेशन आफ बैंक के प्रदेश महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा-ह्यह्य बैंको का निजीकरण कर पूॅजीपतियों के हाथों में सौपने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बैंककर्मियों के विरोध के चलते वह सफल नहीं हो पाई है। अटल पेन्शन योजना, नोटबन्दी, मनरेगा, आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, बीमा आदि योजनाएं केवल राष्ट्रीयकृत बैंको के बैंककर्मियों की दक्षता की वजह से सफल हो पाई है।
बैंक आफ इंडिया अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि बैंक निजीकरण का अर्थ बैंकों को कापोर्रेट हाथों में सौंपने से है जो स्वयं बैंक ऋण को नहीं चुका पा रहे हैं।
निजी बैंकों में फ्रॉड और एनपीए के बढ़ते मामले यह बताने को काफी है कि बैंकों के निजीकरण से जनता का पैसा पूंजीपति हड़प लेंगे और जिससे केवल पूँजीवाद को ही बढ़ावा मिलने वाला है। आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि बैंक निजीकरण से किसानों, छोटे व्यवसाइयों और कमजोर वर्गों के लिए ऋण उपलब्धता कम होगी।
प्राथमिकता क्षेत्र का 60 प्रतिशत ऋण जो कि गांव, गरीब, सीमान्त किसान, गैर कापोर्रेट उद्यमियों, व्यक्तिगत किसान, सूक्ष्म उद्यम, स्वयं सहायता समूह तथा एस.सी./एस.टी., कमजोर और अल्पसंख्यक वर्ग की 12 सरकारी बैंकों और उनके 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा प्रदान किया जाता है। इस मौके पर वाई.के.अरोडा, फोरम प्रदेश संयोजक , दीप कुमार, मीडिया प्रभारी यूएफबीयू अनिल तिवारी समेत बड़ी संख्या में बैंक कर्मी मौजूद रहे।
सरकार ने बैंकिंग अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। इसको लेकर सदन में आज से बहस भी होनी है। बैंककर्मियों ने कहा कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का हम सख्त विरोध करते हैं। लंबे समय से आंदोलन करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया गया है।
यह हड़ताल दो सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ हो रही है। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया समेत देश के तमाम बैंक आज और कल बंद रहेंगे। हालांकि स्टेट बैंक आॅफ इंडिया प्रबंधन ने कर्मचारियों से काम का अनुरोध किया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक भुनाने और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
हड़ताल में लखनऊ के करीब 10 हजार बैंक कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। इस दौरान चार दिनों तक बैंक बंद रहने से करीब 25 से 30 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के विनिवेश लक्ष्य के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।
पहले भी सरकार ने 2019 में आईडीबीआई बैंक में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर दिया था। सरकार ने बीते चार वर्ष में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।
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