Bageshwar News: How will the villages of Bageshwar be saved from unscientific khadia mining) बागेश्वर के गांवों में अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खडिया खनन से गांवों के रिहायसी मकानों, खेत खलिहानों सहित सामाजिक स्थलों के आसपास बड़ी तेजी से दरारें आनी शुरू हो गयी है।
खबर में खास:-
- अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खडिया खनन से कैसे बच पाएंगा बागेश्वर
- खनन कारोबारीयों पर कोई असर नहीं
- खडिया खनन से प्रभावित गांवों में मरती हुई जिंन्दगी
गांव में वैज्ञानिक तरीके से हो रहे खडिया खनन
उत्तराखंड के जोशीमठ में मकानों में आई दरारों के बाद से अब ये मुद्दा एक दम से चर्चा में बना हुआ है। जिसके बाद से लगातार सरकार इस पर मंथन कर रही है। वहीं अब बागेश्वर के काण्डा क्षेत्र, और दुग नाकुरी क्षेत्र के अधिक्तर गांवों में अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खडिया खनन से गांवों के रिहायसी मकानों, खेत खलिहानों सहित सामाजिक स्थलों के आसपास बड़ी तेजी से बड़ी, व छोटी दरारें आनी शुरू हो गयी है। बता दें, चुने हुए जन प्रतिनिधियों कि कमाने कि होड़ में काण्डा और दुग नाकुरी क्षेत्र कि जमीन, व जंगल नदि में समा जाने को आमदा है। इन परिस्थितियों में हिमालय कि ढलान खत्म, पेड़ों का कटते जाना ये सब एक अनकहि कहानी नहीं है।
खनन कारोबारीयों पर कोई असर नहीं
वहीं, खडिया खनन से प्रभावित गांवों में मरती हुई जिंन्दगी, खत्म होते घर परिवारों कि आवाजों को सुनने वाला कोई नही बचा है। बता दें, जिला प्रशासन बागेश्वर गांवों में हो रहे खडिया खनन कि विनाश लीला से अन्जान नही है। प्रशाशनिक फरमानों से भी खनन कारोबारीयों पर कोई असर नहीं होता है। इसके साथ ही पहाड़ प्रेमी प्रसिद्ध इतिहास शेखर पाठक ने भी बागेश्वर में हो रही खनिज संसाधनो कि लूट पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके है।
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