India News(इंडिया न्यूज़) उत्तराखंड “ Land Jihad Case:” : उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के चलते वन विभाग लैंड जिहाद को नेस्तनाबूद करने के लिए जोर शोर से कार्रवाई चल रही है। वन विभाग ने 20 अप्रैल से अब तक जंगलात की लगभग 72 हेक्टेयर जमीन को मुक्त करा लिया है। बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लैंड जिहाद, अतिक्रमण को लेकर कहा था कि देवभूमि में ये सब सहन नहीं किया जाएगा। जो हुए हैं उसपर कार्रवाई की जाएगी।
बता दें, प्रदेश में धामी सरकार लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। अभी तक वन भूमि पर अतिक्रमण कर 300 से अधिक मजारों को ढहाया जा चुका है। इनमें से अधिकतर मजारों का कोई वारिस अभी तक सामने नहीं आया है। जिसके चलते सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन मजारों को प्रदेश में किन लोगों ने बनवाया?
उत्तराखंड में शहर से लेकर गांव तक बीते कुछ सालों में तेजी से वन भूमि पर मजारें बना दी गईं। जिसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देश पर जांच की जा रही है। प्रदेश में हजार के आसपास अतिक्रमण कर बनाई गई मजारों पर इन दिनों जमकर बुलडोजर चलाया जा रहा है। गौर करने वाली बात तो यह है कि इन मजारों के नीचे कोई अवशेष भी नहीं मिल रहा है और न ही कोई व्यक्ति इन पर दावे के लिए आगे आ रहा है। इसके साथ ही भाजपा पहले से ही मजारों को लेकर लैंड जिहाद की आशंका जताती रही है।
खुफिया एजेंसियों ने बताया कि मजारों को तोड़े जाने का कहीं कोई विरोध भी नहीं हो रहा है। जिसके चलते ये काफी हैरान करने वाली बात है। इसके साथ ही कुछ मजारों के संचालन करते हिंदू समाज के लोग पाए गए हैं। नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने से पहले वन अधिनियम के तहत नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अधिकतर मजारों के मामलों में कोई वारिस सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में निर्विघ्न रूप से मजारों को तोड़े जाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 314 मजारों को तोड़ा जा चुका है। 35 मंदिर भी हटाए गए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे।
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