India News (इंडिया न्यूज़),UCC: पूर्व न्यायाधीश व राज्य विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष एएन मित्तल ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता के लागू होने से सामाजिक-आर्थिक सुधार होगा। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन मुस्लिम महिलाओं को होगा, जहां पुरुष प्रधानता चरम सीमा पर है।
एक निजी समाचार पत्र से बातचीत में उन्होंने कहा कि इसकी सिफारिश के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी सहित अन्य सभी धर्मों की शादी, गोदनामे, संपत्ति के अधिकार सहित व्यक्तिगत कानूनों के संबंध में अध्ययन शुरू किया था। चूंकि कार्यकाल 4 दिसंबर 2021 को समाप्त हो गया था, इसलिए अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं दे सका था। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक समान नागरिक संहिता का प्रश्न है, यह संविधान की सातवीं अनुसूची की करंट लिस्ट में है। इसमें राज्य व केंद्र दोनों सरकारों को कानून बनाने का समान अधिकार है। अगर इस विषय पर केंद्र सरकार कोई कानून बनाती है तो निश्चित रूप से राज्य सरकार का कानून उससे अलग नहीं होना चाहिए क्योंकि विरोधाभास एक नए विवाद को जन्म देगा। जस्टिस मित्तल ने कहा समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सामाजिक सुधार के साथ ही साथ आर्थिक सुधार भी होगा।
पूर्व अध्यक्ष/न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने बताया कि उन्होंने सवा चार वर्ष में कुल 21 सिफारिश रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थीं। इनमें से 14 रिपोर्ट लागू हो चुकी हैं। सबसे पहली रिपोर्ट पुराने कानूनों को खत्म करने के संबंध में थी। रिसर्च मिला कि 2057 कानून थे। इनमें से 1700 कानून समाप्त करने के लिए राज्य सरकार से सिफारिश की गई थी। जिस पर सरकार ने करीब 13 सौ कानून समाप्त भी कर दिए हैं। इसी तरह गो हत्या, सार्वजनिक संपत्ति पर मजार, मंदिर बनाने व हटाने संबंधी, ट्रांसजेंडर को संपत्ति में अधिकार दिलाने, सीएए-एनआरसी सहित अन्य आंदोलनों में आए दिन लोक संपत्ति के साथ निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर वसूली, भूमाफिया द्वारा सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा करने पर कार्रवाई, धर्म परिवर्तन, उत्तर प्रदेश में 1972 के किराएदारी कानून में बदलाव सहित 14 रिपोर्ट लागू हुई हैं।