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Landslide in Joshimath: एक बार फिर खतरे में जोशीमठ, घरों के बाद जलस्त्रोतों पर मंडराया संकट

• LAST UPDATED : September 27, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Landslide in Joshimath: जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना के साथ क्षेत्र में तमाम जलस्रोतों के प्रवाह में भी असामान्य बदलाव देखने को मिला है। इसका कारण केंद्रीय भूजल बोर्ड की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है। भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों के अनुसार प्राकृतिक जलस्रोतों के आसपास भारी और बेतरतीब निर्माण से न सिर्फ इनके अस्तित्व पर खतरा बढ़ा है, बल्कि जमीन के अंदर इनके मार्ग बदलने से भू-धंसाव लगातार हो रहा है।

केंद्रीय भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने जोशीमठ क्षेत्र के 8 जलस्रोतों समेत 4 हैंडपंप का अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान इनके प्रवाह का दैनिक परीक्षण किया गया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सिंहधार क्षेत्र में भूजल स्तर में 20-60 सेंटीमीटर प्रतिदिन के हिसाब से कमी दर्ज की गई। इस कमी के पीछे सीधे तौर पर भू-धंसाव को कारण माना गया।

असामान्य रूप से पाया गया अंतर

यहां 11 जनवरी 2023 को भूजल स्तर 47.03 मीटर बिलो ग्राउंड लेवल (जमीन स्तर के नीचे) था, जो 18 जनवरी को 51.2 मीटर तक नीचे चला गया। हालांकि, अन्य स्रोतों में अध्ययन के दौरान यह अंतर मामूली माना गया। भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जोशीमठ में विभिन्न जल स्रोतों के प्रवाह में असामान्य रूप से अंतर पाया गया है। यह अंतर 1 लीटर प्रति मिनट से लेकर 650 लीटर प्रति मिनट के बीच का है।

पक्के निर्माण हैं मुख्य वजह

माना गया है कि जलस्रोतों के इर्द-गिर्द पक्के निर्माण के चलते इनका प्रवाह असामान्य स्थिति में सालों पहले से आना शुरू हो गया। इस स्थिति को भी विज्ञानियों ने भूधंसाव से जोड़कर देखा है। साथ ही ऐतिहासिक भूकंपीय फाल्ट लाइन मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) के क्षेत्र में आने के चलते भूकंपीय घटनाओं को भी एक वजह माना

इन क्षेत्र में पाया गया जल स्रोतों का प्रवाह

स्रोत प्रवाह – (लीटर प्रति मिनट)

जेपी कालोनी-मारवाड़ी – 250 से 650
नौगंगा – 600
सुनील – 01
द्रोणागिरी – 35.8
सिंहधार – 28.91
सिंहधार-गोपालधार – 32.29

जानें वैज्ञानिकों का क्या कहना है-

-जल स्रोतों के आस-पास जो भी पक्के निर्माण हैं उन्हें वहां से हटा दिया जाना चाहिए।
-जल स्रोतों के आस-पास किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति न दी जाए।
-रिटेंशन दीवार के साथ ही खाई का निर्माण होना चाहिए। इससे भूजल के दबाव को नियंत्रित किया जा सकेगा।

पानी की गुणवत्ता पर असर नहीं

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भूधंसाव की घटना के चलते इसके पानी की गुणवत्ता पर असर का भी परीक्षण किया। विज्ञानियों ने 22 सैंपल में पाया कि पानी की गुणवत्ता ठीक है। सिर्फ जेपी कालोनी में फूटे नए स्रोत में नाइट्रेट की मात्रा 5.48 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है। इसके अलावा तपोवन के गर्म पानी के स्रोत में आर्सेनिक व ईसी (इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी), जबकि हैंडपंप के पानी में आयरन की भारी मात्रा पाई गई। जिसके पीछे कारण बताया गया कि इनके पाइप में जंक हो सकता है।

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