India News(इंडिया न्यूज़), Uttarkashi Tunnel Rescue: 17 दिन टनल के अंधेरे में रहने के बाद आपको क्या लगता है वो पुरी तरह से ठीक ठाक होंगे, इसका जवाब है नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि मजदूरों को कई तरह की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, टनल में रहने के दौरान उनको काफी घबराहट हुई होगी, जिससे उनकी मानसिक सेहत बिगड़ सकती है, ऐसा भी हो सकता है कि मजदूरों को एक तरह का मेंटल ट्रामा हो गया हो, जिससे उनकी पर्सनल लाइफ पर भी बुरा असर पड़ सकता है, इसके साथ ही आने वाले समय में एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है।
गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ शांभवी जयमन की माने तो ये हादसा उनकी पूरी लाइफ को इफेक्ट कर सकता है, साथ ही उनमें पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण भी दिख सकते है, उन्हें कुछ समय तक नींद में भी दिक्कत आ सकती है साथ ही इस घटना के फ्लैशबैक्स भी उन्हें तंग कर सकते है, इसके लिए उन्हें साइको थेरेपी लेने की आवश्यकता है ताकि उन्हें इस ट्रामा से निकाला जा सके. इस घटना से उबरने में उन्हें 6 महीने का समय भी लग सकता है।
मेंटल थेरेपी की जरूरत
ऐसे मजदूरों को शारीरिक जांच के साथ ही मेंटल थेरेपी की भी जरूरत है ताकि वो आने वाले समय में इस स्थिति में दोबारा घबराएं नहीं और न ही किसी टनल में दोबारा काम करने में उन्हें कोई परेशानी का सामना न करना पड़े, क्योंकि अक्सर ऐसे हादसे शरीर के साथ साथ मन पर भी गहरा असर डालते है और शरीर के घाव तो महीनों में ठीक हो जाते है लेकिन मन पर लगे घावों पर अगर ध्यान ना दिया जाए तो उन्हें ठीक होने में लंबा समय लग सकता है और कई बार तो मरीज इस ट्रामा से बाहर ही नहीं आ पाता।
मेंटल जांच की जरूरी
प्रशासन को चाहिए उनकी शारीरिक जांच के साथ साथ उनकी मेंटली जांच पर भी ध्यान दिया जाए ताकि वो आने वाले समय में इस ट्रामा से बाहर निकल सके और अगर ऐसा न हुआ तो ये 17 दिनों का घना अंधेरा इन मजदूरों की जिंदगी में हमेशा हमेशा के लिए गहराता जाएगा।
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