India News (इंडिया न्यूज़) Agra News Rinki Upadhyay आगरा : नगर निगम ने संजय प्लेस के 38 ब्लॉक में पार्किंग का ठेका उठाया।
विरोध में व्यापारी एक ब्लाक से दूसरे ब्लाक में पैसे वसूल रहे है। सड़कों पर पार्किंग की पर्ची काट रहे है।
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इंडिया न्यूज़ संवाददाता रिंकी उपाध्याय की खबर के मुताबिक यदि आपने बैंक से पैसे निकाले तो आपको पार्किंग के नाम पर 50 रुपये देने होंगे।
वहीं, बगल में यदि आपको किसी और काम से जाना है और वो स्थान दूसरे ब्लाक में आता है तो आपको फिर से पार्किंग शुल्क देना होगा।
इस तरह आप जितने ब्लाक घूमेंगे उसके आधार से आपको प्रति ब्लाक बाइक पर 20 रुपये और कार के लिए 50 रुपये पार्किंग शुल्क अदा करना होगा।
पार्किंग को लेकर कोर्ट में मुकदमा दर्ज
दरअसल, निगम ने 10 जनवरी-2023 से 38 ब्लाक में पार्किंग का ठेका उठाया है। एक घंटे के लिए बाइक से 20 तो कार खड़ी करने के नाम पर 50 रुपये की वसूली की जा रही है, जो आम आदमी के लिए काफी ज्यादा है।
ठेकेदार मनमानी से सड़क किनारे और फुटपाथ पर खड़े वाहनों की पार्किंग रसीद काट रहा है। आहार रेस्टोरेंट के सामने तो सड़क पर ही वाहनों की पर्ची काटी जा रही है।
व्यापारी इसके विरोध में हैं। उनका कहना हैं कि ये पार्किंग स्पेस व्यापारियों के हैं। इसका मुकदमा भी कोर्ट में विचाराधीन है। कई स्थानों पर व्यापारियों ने ठेका उठने के बाद भी पार्किंग जमने न हीं दी है।
विकास प्राधिकरण ने 70 से अधिक ब्लॉक बनाए
शहर का हृदय कहे जाने वाले संजय प्लेस को आगरा विकास प्राधिकरण ने विकसित किया था। प्राधिकरण ने 70 से अधिक ब्लॉक बनाए थे। प्रत्येक ब्लॉक में सरकारी, अर्द्धसरकारी और निजी कंपनियों के कार्यालय हैं।
50 से अधिक बैंक, उनके लोन डिपार्टमेंट और कार्यालय हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार के 15 से अधिक प्रशासनिक विभाग हैं। 30 हजार से अधिक लोगों का यहां प्रतिदिन आगमन है।
बड़ी संख्या में मोटर साइकिल और चार पहिया के वाहनों का यहां आगमन होता है। परिक्षेत्र में मिशनरी स्कूल के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल, कम्यूनिकेशन, फर्नीचर और कपड़ों का बाजार है।
दर्जनों होटल और रेस्टोरेंट यहां संचालित हैं। अधिकांश ब्लॉक के सामने पार्किंग का स्पेस है। नगर निगम इसकी देखरेख कर रहा है।
फ्री में बन रहा आधार, 20 रुपये की पार्किंग
नगर निगम के 38 ब्लॉक में से आहार रेस्टोरेंट, पाकीजा, चाइनीज, रमन टॉवर, एचडीएफसी बैंक, एमकॉप, जीजी नर्सिंग होम और आधार सेंटर पर पार्किंग ठेका चल रहा है।
शेष स्थानों पर व्यापारी और ठेकेदार आमने-सामने आ गए हैं। हालात ये है कि आधार कार्ड बनवाने के लिए बड़ी संख्या में लोग गांव से शहर आते हैं। इनके नये आधार कार्ड तो निशुल्क बनते हैं।
लेकिन, पार्किंग के नाम पर इन्हें 20 से 50 रुपये अदा करने पड़ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों को ये धनराशि खल जाती है। उनके इनकार करने पर नगर निगम की पार्किंग बता दी जाती है।
कई दफा वे मोटर साइकिल को इधर-उधर खड़ा करके उसके पास अपने बच्चों को छोड़ जाते हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश भी हवा-हवाई
प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पार्किंग को लेकर साफ निर्देश दिए हैं। उनका कहना हैं कि जिस स्थान पर पार्किंग ठेका उठाया जाए। वहां शौचालय और पानी की व्यवस्था आवश्यक है।
लेकिन, संजय प्लेस की पार्किंग में इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया है। पार्किंग का शुल्क तो लोग अदा कर रहे हैं। लेकिन, जनसुविधाओं से वंचित हैं। हालात ये हैं कि इन 38 स्थानों पर न शौचालय की कोई व्यवस्था है और न ही पेयजल की।
शहर के इतने बड़े बाजार में पर्याप्त शौचालय और पेयजल की सुविधा नहीं हैं। ऐसे में इस आदेश को दरकिनार कैसे कर दिया गया।
उठ रहे ये सवाल
- ठेकेदार पार्किंग पर्ची पर नगर निगम का नाम कैसे कर रहे हैं इस्तेमाल?
- फुटपाथ और रोड पर खड़े वाहन व मोटर साइकिल की पर्ची कैसे रहीं कट?
- सरकारी कार्यालय या बैंक आने वाला व्यक्ति पार्किंग शुल्क क्यों अदा करे?
- संजय प्लेस व्यावसायिक हब है, पार्किंग में तैनात कर्मचारियों की पुलिस वेरीफिकेशन व श्रम विभाग में पंजीकरण क्यों नहीं?
- व्यापारियों का पार्किंग का विवाद कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में कैसे उठ गई पार्किंग?
इनका कहना हैं
हम संजय प्लेस का पूर्णरूप से विकास चाहते हैं। पार्किंग नियोजित होनी चाहिए। संजय प्लेस की पार्किंग व्यापारियों की हैं। पहले नगर निगम संजय प्लेस का विकास करें।
उफनते सीवर, स्ट्रीट लाइट, सफाई और रात्रि की नशेबाजी पर अंकुश लगना चाहिए। उसके बाद संजय प्लेस से कमाई की ओर ध्यान दिया जाए।
व्यापारियों के साथ पार्किंग शुल्क पर विचार हो। इसे कम किया जाए। ताकि, लोगों को परेशानी न हो।
संजय प्लेस में थी अमर सिंह राठौर की कचहरी
संजय प्लेस का इतिहास ही अपने आप में स्वर्णिम रहा है। पुस्तक ‘तवारीख-ए-आगरा’ में इसके बारे में विस्तार से लिखा गया है।
इतिहासकार राजकिशोर राजे लिखते हैं कि मुगलकाल में संजय प्लेस के स्थान पर अमर सिंह राठौर की कचहरी हुआ करती थी।
साल 1644 में अमर सिंह राठौर की मृत्यु के बाद मुगलों ने यहां हाथियों व अन्य सैन्य, पशुओं को रखना शुरू कर दिया था।
जानिए कब अंग्रेजों के अधीन हुआ आगरा
साल 1803 में आगरा अंग्रेजों के अधीन हो गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने साल 1813 में इस स्थान को सेंट्रल जेल में तब्दील कर दिया। जेल में सात वर्ष से अधिक की सजा पाने वाले कैदियों को रखा जाता था।
साल 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के समक्ष समर्पण कर दिया था। समर्पण करने वाले सैनिकों को संजय प्लेस की इसी सेंट्रल जेल में रखा गया था।
1976 में संजय गांधी के निर्देश पर सेंट्रल जेल को तोड़कर कॉमर्शियल मार्केट की नींव रखी गई थी।
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