Monday, July 8, 2024
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Agra: ‘हंस’ से पैरा कमांडो अब 30 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन की सीमा में सुरक्षित उतरेंगे

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India News इंडिया न्यूज, आगरा: हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापन (एडीआरडीई) ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है। यह वीडियो आगरा के मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हुए एडीआरडीई ने अत्याधुनिक पैराशूट प्रणाली हंस का सफल परीक्षण का है। जिसमें एडीआरडीई आगरा के भारतीय सशस्त्र बलों की सामरिक सैन्य परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी तकनीक से विकसित ‘हंस’ (हाई ऑल्टीट्यूड पैराशूट संग नेविगेशन और एडवांस्ड सब एसंबलीज) प्रणाली का है.

जिससे अब कमांडो 30 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन के इलाके में सुरक्षित उतर सकेंगे। इसके साथ ही 200 किलोग्राम पेलोड वजनी उपकरणों को भी सकुशल उतारा जा सकेगा। बता दें कि, रक्षा संगठन एडीआरडीई लंबे समय से भारतीय सशस्त्र बल व भारतीय वायुसेना के जहाजों के लिए पैराशूट विकसित करने का महत्वपूर्ण काम बखूबी कर रहा है। अब एडीआरडीई ने स्वदेशी हंस (हाई ऑल्टीट्यूड पैराशूट संग नेविगेशन और एडवांस्ड सब एसंबलीज) प्रणाली से जवानों को 30000 फीट तक की ऊंचाई से पैरा जंप करने में सक्षम बनाया है।

एडीआरडीई ने जारी किया वीडियो

दरअसल, एडीआरडीई आगरा के चीफ टेस्ट जंपर विंग कमांडर विशाल लाखेश ने मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में 10000 फीट की ऊंचाई से पहली लाइव जंप का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।फ्री फॉल जंप के लिए मौजूदा प्रणालियों की जगह अब हंस का ही इस्तेमाल किया जाएगा। यह स्वदेशी सैन्य लडाकू पैराशूट प्रणाली है। जिससे दुश्मन के क्षेत्र में 30 हजार की फीट से पैरा कमांडो सुरक्षित उतर सकेंगे।

यह है हंस की खासियत

हंस पैराशूट में अत्याधुनिक कपडे का इस्तेमाल किया गया है। जो स्वेदशी और बेहद हल्का है। हंस पैराशूट में सभी आवश्यक अत्याधुनिक उप-प्रणालियां हैं। जिसमें हल्के वजन वाले बैलिस्टिक हेलमेट, कॉम्बैट जंप सूट और जूते, ऑक्सीजन प्रणाली और उपग्रह आधारित नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली शामिल हैं। प्रणाली में संचालन की उच्चतम ऊंचाई, 200 किलो तक पेलोड ले जाने की क्षमता, 41 के उच्च ग्लाइड अनुपात, स्टाल प्रतिरोधी डिजाइन, उच्च क्षमता की अत्याधुनिक कपड़ा सामग्री, उच्च कुशलता, हवा के खिलाफ प्रवेश की क्षमता और सॉफ्ट लैंडिंग की विशेषताएं मौजूद हैं।एडीआरडीई की हंस प्रणाली की डिजाइन पूरी तरह स्वदेशी है।

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