Friday, July 5, 2024
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Aligarh : गौशाला बना मौत का अड्डा, गौशाला के नाम पर हो रहा चारा घोटाला

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(Gaushala became a place of death): अलीगढ़ (Aligarh) में बना निराश्रित गौशाला (Cowshed) आवारा गोवंशों का ठिकाना नहीं, बल्कि गोवंशों की मौत का घर साबित हो रही है।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंशों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अरबों रुपये खर्च कर निराश्रित गौशाला बनाई गई। लेकिन अलीगढ़ में बना निराश्रित गौशाला आवारा गोवंशों का ठिकाना नहीं, बल्कि गोवंशों की मौत का घर साबित हो रही है।

  • ग्रामीणों में दिखा रोष
  • आगे से जिन्दा आते पीछे के दरवाजे से मौत बनकर जाते
  • क्या है पूरा मामला
  • स्थानीय ग्रामीण ने लगाया आरोप
  • अधिकारियों से शिकायत के बाद भी नहीं हो रही ‘कार्रवाई’
  • मनरेगा मजदूरी से भी कम आता हिसा

 Aligarh : ग्रामीणों में दिखा रोष

दरअसल अलीगढ़ के राजीपुर गांव की निराश्रित गौशाला में आवारा गोवंशों की चारे पानी की व्यवस्था ना होने के चलते भूख ओर प्यास से तड़प – तड़प कर हो रही मौत और गोवंशों की दुर्दशा को लेकर ग्रामीणों में काफी रोष है।

आगे से जिन्दा आते पीछे के दरवाजे से मौत बनकर जाते

ग्रामीणों का आरोप है कि गोवंश अपने पैरों पर चलकर अगले दरवाजे से गोशाला में आती तो है, लेकिन गौशाला में चारे पानी की व्यवस्था नहीं होने के चलते कुछ ही दिनों में मौत के शिकार हो जा रहे है। पिछले दरवाजे से मौत बनकर निकल भी जाती है। जिसके चलते गोशाला अब गोवंशों की मौत का घर बन गई, और राजीपुर के लोगों ने गोशाला को गौवंशों की मौत का घर कहना शुरू कर दिया।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि निराश्रित गौशाला में आवारा गोवंशों की दुर्दशा हो रही है। ऐसा ही एक मामला अलीगढ़ जिले की तहसील कॉल के ब्लाक अकराबाद इलाके के राजीपुर गांव से निकलकर सामने आया है। जहां राजीपुर गौशाला में चारे पानी की व्यवस्था ना होने के चलते गोवंशों की दुर्दशा हो रही और उनकी तड़प – तड़प कर मौतों हो रही है।

स्थानीय ग्रामीण ने लगाया आरोप

जिसको लेकर स्थानीय ग्रामीण गुलाब सिंह का कहना है कि आवारा गोवंश गौशाला में अगले गेट से अपने पैरों पर चलकर आते तो है लेकिन गौशाला के पिछले गेट से मौत बन कर निकल जाते हैं। जिसके चलते अब गौशाला उनकी मौत का घर हैं।

अधिकारियों से शिकायत के बाद भी नहीं हो रही ‘कार्रवाई’

ग्रामीणों का आरोप है कि गौशाला की दुर्दशा को लेकर उनके द्वारा ग्राम प्रधान से लेकर जिले के उच्च अधिकारियों से कई बार शिकायत भी की गई। लेकिन समस्या का कोई निदान नहीं किया गया। जिसके चलते निराश्रित गौशाला में रहने वाले आवारा गोवंशों के चारे पानी की व्यवस्था ना होने के चलते भूख से तड़प तड़पकर गौशाला में रह रहे गोवंश आए दिन मौत के शिकार हो रहे हैं।

मनरेगा मजदूरी से भी कम आता हिसा

वही गौवंशों की देखरेख कर रहे सुखदेव ने बताया कि गौवंशों के चारे के लिए 30 रूपये प्रति पशु के हिसाब से आते है लेकिन उससे इन पशुओं का कुछ नही होता, देखरेख करने मे 3500 रूपये मिलते हैं, जो मनरेगा मजदूरी से भी कम है। पिछले 7 माह से वेतन ही नहीं मिला, वहीं ब्लाक अकराबाद क्षेत्र में अन्य गौशालाओं की दुर्दशा देखने लायक है।

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