India News (इंडिया न्यूज़), Rinke Upadhyay, Agra : कोविड काल में लैपटाप, मोबाइल पर पढ़ाई। इसके बाद ऑनलाइन गेमिंग और अब ओटीटी पर लंबी-लंबी वेबसीरीज। भारी सस्पेंस पर हर एपिसोड खत्म होता है। जब तक अगला न देख लें, चैन नहीं मिलता। ओटीटी प्लेटफार्म के एडिक्शन ने अच्छे-भलों को दिमागी मरीज बना दिया है। शादियां तक टूटने के कगार पर पहुंच गई हैं। बच्चे जिद्दी और हिंसक हो गए हैं।
आगरा के मनोचिकित्सकों के पास अजीबोगरीब मामले आ रहे हैं। मोबाइल या टीवी से चिपके रहना, कामकाज में मन न लगना, आखें खराब होना, सिर में दर्द रहना, नौकरी पेशा लोगों का टारगेट पूरा न कर पाना जैसे मामले सामने आ रहे हैं। जब इनकी केस हिस्ट्री ली जा रही है तो इसकी जड़ में ओटीटी प्लेटफॉर्म सामने आया है।
क्राइम, थ्रिलर, सस्पेंस, हाई-फाई, एडवेंचर, बायोग्राफी, ड्रग और आर्म्स डीलिंग पर बनी बेवसीरीज दिमाग में बैठ गई हैं। अगला एपीसोड जल्द देखने की हुड़क शुरू होती है। यही हुड़क आगे चलकर दिमागी बीमारी बन रही है। इस एक बीमारी से शरीर में दूसरी बीमारियां विकसित हो रही हैं। ऐसे मामले फिजीशियन से होते हुए मनो चिकित्सक तक पहुंच रहे हैं। डॉक्टर इन मरीजों को काउंसलिंग, कंसल्टेंसी के साथ जरूरी होने पर दवाईयां भी दे रहे हैं।
कोविड काल में लैपटाप, मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई से गेमिंग और अब ओटीटी की दीवानगी ने लोगों को मानसिक बीमार बना दिया है। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सागर लवानियां का कहना है कि अब ऐसे मामले आना शुरू हो गए हैं और यह बिल्कुल शराब, ड्रग्स जैसी लत है। अब तो लगभग हर उम्र के पीड़ित आ रहे हैं। इनकी लगातार काउंसलिंग की जा रही है। जरूरत पड़ने पर दवाईयों का इस्तेमाल भी किया जाता है।
Read more: सरयू नदी के घटते बढ़ते जलस्तर से कटान का खतरा, 112 गांव पानी से घिरे, सुविधाओं का अभाव