India News (इंडिया न्यूज़),Rinke Upadhyay,Agra News: बिना गेट और जर्जर बाउंड्रीवाल परिसर में घास और फैली गंदगी, जर्जर दीवारें, टूटे जंगले, ये हालात हैं शिक्षा भवन की । जर्जर हालत में यह हादसे को दावत दे रहा है। शिक्षा भवन से न सिर्फ जिले के, बल्कि मंडल की शिक्षा व्यवस्था संचालित होती है।
अफसरों की नाक के नीचे जब ये हालात हैं तो माध्यमिक विद्यालयों की जर्जर इमारतों की भला कौन सुध लेगा।शिक्षा भवन में संयुक्त शिक्षा निदेशक, डीआईओएस और डीडीआर के कार्यालय हैं।
यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोगों का आवागमन होता है। कार्यालय की हालत देखें तो इसे अब तक ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। जिस कार्यालय से पूरे मंडल की शिक्षा का संचालन होता है। वहीं, सरकारी कार्यालय जर्जर अवस्था में हैं।
इस कार्यालय का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है। हर वक्त यहां के कर्मी सहमे-सहमे काम करते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बरसात के मौसम में और नरक हो जाता है।
आने-जाने में परेशानी होती है। बांउड्रीवाल के होने न होने से कोई मतलब नहीं है। गेट ही नहीं लगा है। आवरा जानवर घूमते हैं। लोग परिसर में शौच तक कर जाते हैं।रखरखाव की कमी के कारण भवन के पीछे बबूल का बाग बन गया है।
जिसमें जहरीले सांप और अन्य जीव जंतुओं ने शरण ली है। कर्मचारी डर-डर के काम करते हैं। कुछ समय पहले चोरों ने भी सेंध लगाने का प्रयास किया था। वहीं, दीवारों पर पीपल और बरगद के पौधे उग आए हैं।
पौधों की जड़ें अंदर आने के कारण अब दीवार भी फटने लगी हैं। यह भवन जर्जर हो चुका है।शिक्षा भवन का निर्माण 1979 से 1980 तक में हुआ था। इससे पहले यह ,कार्यालय विजय नगर कॉलोनी में सरस्वती इंटर कॉलेज के पास किराए के भवन में संचालित होता था।
डीआईओएस महावीर प्रसाद ने नयी इमारत में कार्यकाल शुरू किया था। लेकिन, मात्र 44 साल में ही विद्यालय की हालत जर्जर हो गयी। बाबुओं के कक्षों की दीवारें जर्जर हैं। जंगले उखड़ें हैं।
भवन के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव पारित हो गया है। पीडब्ल्यूडी के तकनीकी अधिकारियों की टीम से भवन की स्थिति की जांच कराई गई थी। टीम ने जांच में भवन को प्रयोग के लायक नहीं बताया था।
पीडब्ल्यूडी की जांच के बाद अब तीन एजेंसियों सिडको, सीएनडीएस और पैक पैक से वार्ता चल रही है। एजेंसियों से सहमति वार्ता के बाद जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया जाएगा।
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