India News (इंडिया न्यूज़), Pradeep Pundhir, Aligarh News: गणेश चतुर्थी आई है, और इस अवसर पर इको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियाँ बन रही हैं। इन मूर्तियों को मिट्टी से तैयार किया जाता है, और इनमें गेहूं, चावल, और दाल भी मिलते हैं। इसके बाद, जब विसर्जन होता है, तो मिट्टी नदियों को बहा देती है और दाल, चावल, और गेहूं मछलियों के लिए जीवनकारी का काम आते हैं।
बता दें कि अलीगढ़ में, गणेश चतुर्थी के अवसर पर इको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्तियाँ बन रही हैं, जो कि मिट्टी से तैयार की जाती हैं। इन मूर्तियों में दाल, चावल, और गेहूं मिलते हैं, और यही वजह है कि विसर्जन के बाद भी ये मूर्तियाँ प्रयोजन मूलक हैं।
समाजसेवी सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि गणेश की मूर्तियाँ अब खिलौना नहीं हैं, पूरे मार्केट में pop की मूर्तियाँ हैं। राजस्थानी कारीगर यहां आकर pop की मूर्तियाँ बनाते हैं, लेकिन इन्होंने पिछले 5 सालों से लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कई ग्रहण की है।
मूर्ति बनाने वाली कारीगर लाडो ने बताया कि वे इको फ्रेंडली मूर्तियाँ तैयार करते हैं, जो कि मिट्टी से बनती हैं। इन मूर्तियों में पांच तरीके की दाल, गेहूं, और चावल मिलते हैं, और यह मूर्तियाँ pop मूर्तियों के मुकाबले अधिक पर्यावरण-सहमत हैं।
बुजुर्ग कारीगर छोटेलाल ने बताया कि वे गणेश जी की मूर्तियाँ बचपन से बनाते हैं, जो मिट्टी से तैयार की जाती हैं। इन मूर्तियों में दाल और चावल मिलते हैं, और विसर्जन के बाद मिट्टी नदियों को बहा देती है और दाल मछलियों के लिए खाद्य के रूप में उपयोग होता है। यह एक लंबे अरसे से जारी किया जा रहा परंपरागत काम है, और पूरे परिवार का सहयोग इसमें होता है।
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