India News(इंडिया न्यूज़),Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हित प्रभावित करने वाला प्रतिकूल आदेश न हो तो अपील पोषणीय नहीं है। अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगना कानूनी अधिकार का उल्लघंन नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ ने अधिकारी से केवल कुछ बातों का स्पष्टीकरण मांगा है। अपीलीय क्षेत्राधिकार में बैठकर वह किसी अंतरिम आदेश को केवल इसलिए रद्द नहीं कर सकती कि कथित गलती करने वाले अधिकारी को असुविधा या कोई तकलीफ हुई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने यूपी पीसीएल के पूर्व चेयरमैन और प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा एम देवराज की ओर से दायर विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है। याची को विभागीय कार्यवाही में दोषी करार देकर प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी। उसकी पांच वेतन वृद्धियां और संवेदनशील स्थान पर तैनाती पर रोक लगा दी गई।
इस कार्यवाही के बाद तत्कालीन चेयरमैन एम देवराज(अपीलकर्ता) ने याची की बर्खास्तगी का आदेश पारित कर दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। एकलपीठ ने चेयरमैन एम देवराज से एक बार दंडित को दुबारा दंडित करने का स्पष्टीकरण मांगा। पूछा कि याची के खिलाफ आदेश पारित करते समय से नोटिस जारी क्यों नहीं की गई।इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती गई थी।
सरकारी वकील का कहना था कि चेयरमैन पद पर तैनात अधिकारी अब दूसरे विभाग में तैनात हैं।इसलिए उनसे कोई भी स्पष्टीकरण मांगना अनावश्यक है। अपीलकर्ता याचिका में पक्षकार भी नहीं था। कोर्ट ने उसे पक्षकार बनाया है। कहा गया कि अपीलकर्ता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई थी।
याची के अधिवक्ता ने कहा कि इस स्तर पर इंट्रा कोर्ट अपील सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि, प्रश्नगत आदेश,अंतरिम आदेश है। याचिका में कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है। केवल स्पष्टीकरण मांगा गया है।