होम / विलय पर नए राज्य में कर्मचारी को आरक्षण से नहीं कर सकते वंचित

विलय पर नए राज्य में कर्मचारी को आरक्षण से नहीं कर सकते वंचित

• LAST UPDATED : August 21, 2021
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि विलय के बाद यदि कर्मी नए राज्य में जाते हैं तो वे उस राज्य के ही निवासी माने जाएंगे और उसे सेवा में आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। भले ही उनका निवास पुराना राज्य ही क्यों न हो। जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने यह आदेश देते हुए झारखंड हाईकोर्ट के आदेश निरस्त कर दिया, जिसमें एक कर्मचारी को राज्य में माइग्रेट होकर आया माना गया और उसे आरक्षण का लाभ देने से मना कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट आए थे। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यह देखा जाना चाहिए कि कर्मचारी ने वर्ष 2000 के राज्य पुनर्गठन एक्ट के तहत स्वयं को झारखंड में विलय कर लिया था। एक्ट कहता है कि ऐसे कर्मी अपने साथ आरक्षण की व्यवस्था भी ले जाएंगे और उन्हें वही सुविधाएं दी जाएंगी जो उन्हें अविभाजित राज्य में रहने पर मिलती हैं। कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ यह तय कर चुकी है कि माइग्रेंट लोग आरक्षण के हकदार नहीं होंगे, चाहे उनकी जाति उस राज्य में भी आरक्षित वर्ग के रूप में चिन्हित क्यों न हो। लेकिन पंकज का मामला ऐसा नहीं है। वह बाकायदा कानून के तहत सेवा के साथ विलय होकर झारखंड में आए हैं। इसके अलावा बिहार के 18 जिले, जिनसे झारखंड बना है उन जिलों में भी उनकी जाति को आरक्षण का लाभ प्राप्त था, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह माइग्रेंट हैं।
ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox