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Challenging Angioplasty : चुनौतीपूर्ण एंजियोप्लास्टी कर महिला की डाक्टरों ने बचाई जान, हार्ट की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी 35 साल की महिला

• LAST UPDATED : January 29, 2022

इंडिया न्यूज, वाराणसी:

Challenging Angioplasty काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों की टीम ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण एंजियोप्लास्टी कर एक महिला की जान बचा दी।

क्रिटिकल कंडीशन में भर्ती हुई महिला Challenging Angioplasty

28 जनवरी कार्डियोलॉजी विभाग में 35 वर्षीय एक महिला रोगी को लाया गया, जो कुछ कदम भी बिना सीना और दोनों हाथों में असहाय दर्द के नहीं चल पा रही थी। ये सभी लक्षण महिला में गंभीर हृदय रोग की तरफ इशारा कर रहे थे। महिला कि किसी निजी अस्पताल में इसी वजह से एंजियोग्राफी जांच की गई थी, जिसमें अति गंभीर बीमारी पाई गई थी, जिनका इलाज उनके लिए वहां कर पाना मुश्किल था, अत: मरीज सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में हृदय रोग विभाग आईं।

आश्यर्चजनक तरीके से हुई थी बीमार Challenging Angioplasty

हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. ओम शंकर ने बताया कि 35 वर्षीय यह महिला न तो तंबाकू का सेवन करती है, न ही मधुमेह से पीड़ित है, न ही उनके परिवार के किसी सदस्य को हृदय के इस तरह की गंभीर बीमारी की कोई दिक्कत है और न ही उनके खून की नलियों में सूजन होने की कोई वजह दिख रही थी। चिकित्सकों के लिए यह काफी आश्चर्यजनक था।

एंजियोग्राफी जांच में उनके बाएं तरफ की सबसे प्रमुख नस जहां से शुरू होती है, वही बिल्कुल चिपककर धागे जैसी हो गई दिख रही थी इस तरह की हृदय की बीमारी को सबसे गंभीर माना जाता है। ऐसे कई मामले अकसर सामने आते हैं कि इस दशा का सामना करने वाले लोग अचानक चलते-फिरते ही हृदय आघात से असमय मौत के शिकार हो जाते हैं।

मरीज की एंजियोंप्लास्टी करने का लिया गया निर्णय Challenging Angioplasty

गहन विचार-विमर्श के बाद मरीज की एंजियोप्लास्टी करने का निर्णय लिया गया, जो वाकई चुनौतीपूर्ण कार्य था। उनके हृदय की नस की स्थिति ऐसी थी कि उसमें पहले तो एंजियोप्लास्टी में उपयोग करने के लिए डाली जानेवाली तार और बैलून डालना ही काफी मुश्किल हो रहा था। омг फिर नसों की स्थिति ऐसी थी कि छल्ला डालने के बाद उसको कहां रखा जाए, यह निर्धारित करना भी काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इस प्रक्रिया में हुई थोड़ी सी भी चूक मरीज की जान ले सकती है। लेकिन तमाम चुनौतियों को मात देते हुए अपनी विशेषज्ञता, अनुभव, निपुणता व चिकित्सकीय कौशल के बल पर हृदय रोग के विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर के नेतृत्व वाली टीम ने एक जटिल व चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के बाद सफलतापूर्वक मरीज की एंजियोप्लास्टी की, जिससे उनकी जान बच सकी।

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