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Deoria: 14 साल के लड़के को प्रधान ने मरा साबित किया, अब जिंदा होन का सबूत दे रहा, जानिए क्यों?

• LAST UPDATED : December 31, 2022

Deoria

इंडिया न्यूज, देवरिया (Uttar Pradesh)। राजस्व विभाग अभिलेखों में हेराफेरी करके किसी की जमीन को दूसरे के नाम पर कैसे वरासत करा देता है। इसका ताजा कारनामा देवरिया जिले में सामने आया है। जहां एक गांव में माता-पिता की मृत्यु के बाद 14 वर्षीय बेटे का नाम परिवार रजिस्टर से गायब करते हुए दस्तावेजों में हेरा-फेरी कर ग्राम प्रधान द्वारा बच्चे के जमीनों को अपने नाम से खतौनी में दर्ज करवा लिया गया है। जब यह बात किशोर को पता चली तो तो वह अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा है और तख्ती लिए गांव और दफ्तरों में चक्कर लगा रहा है की “साहब मैं अभी जिंदा हूं”।

वही गांव में एसडीएम ने पहुंचकर मामले की जांच की तो प्रकरण को सही पाया। इस षड्यंत्र में शामिल सेक्रेटरी, लेखपाल और कानूनगों से स्पष्टीकरण मांगा है। इस मामले में आरोपी प्रधान का कहना है कि उसके परिवार के लोगों ने यह काम किया है। इस पूरे मामले में अपर जिलाधिकारी गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि एक कृषक की मृत्यु के बाद कुछ लोगों ने जमीन वरासत फर्जी करा लिया है। इसमें प्रथम दृष्टया मामला सही पाए जाने पर तत्कालीन लेखपाल अमजद अली को सस्पेंड कर दिया गया है। जांच की जा रही है तहसीलदार कोर्ट में मुदकमा दर्ज कराकर वरासत सही कराया जाएगा।

परिवार रजिस्टर से नाम गायब करा दिया
देवरिया जिले के भटनी थाना क्षेत्र के ग्राम पिपरा देवराज निवासी राम अशीष सिंह उर्फ तूफानी को कई सालों से पैरालिसिस की शिकायत थी। उनके साथ उनकी पत्नी और एकलौता 14 वर्षीय बेटा विजय प्रताप सिंह गांव में रहते थे। बीते 8 मई 2021 को पत्नी बृजवती की मृत्यु हो गयी। घर में दिक्कतों को देखते हुए राम अशीष अपने बेटे को लेकर अपने मामा के घर चले गए और वहीं रहने लगे। बीमारी से जूझ रहे राम अशीष ने भी 6 महीने में दम तोड़ दिया। इधर ग्राम प्रधान अवधेश सिंह ने ग्राम पंचायत सेक्रेटरी से मिलीभगत कर परिवार रजिस्टर से राम अशीष व बेटे विजय प्रताप का नाम लिखा हुआ पन्ना ही गायब करवा दिया उसके बाद लेखपाल और कानूनगों की मिलीभगत से लगभग तीन बीघे जमीन अपने नाम, व भाईयों प्रभुनाथ सिंह, राम प्रवेश सिंह और चाचा राम आश्रय सिंह के नाम दर्ज करा लिया। जब विजय प्रताप ने पिता की मृत्यु के बाद वरासत में अपना नाम चढ़ाने के लिए लेखपाल के पास पहुचा तो उसे बताया गया कि अभी वह नाबालिग है।इसलिए नाम नही चढ़ सकता इसलिए वह लौट कर घर चला आया।

जब विजय प्रताप को अपने जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी तो वह 14 दिसम्बर को सेक्रेटरी के पास परिवार रजिस्टर की नकल लेने पहुचा तो पता चला कि कुटुंब रजिस्टर से उसका नाम ही गायब है जिसके बाद उसने इसकी सूचना बीडीओ को दी उसके बाद तहसीलदार व एस डी एम सलेमपुर से बताया कि उसके पिता के नाम से दर्ज जमीन ग्राम प्रधान ने अपने व अपने परिवार के नाम करा लिया है। बीते 25 दिसम्बर को एस डी एम सलेमपुर गांव में जांच करने पहुचे तो लगभग 400 लोगों ने विजय प्रताप के पक्ष में गवाही दी और जब एस डी एम ने अभिलेखों को देखा तो मामला सही निकला।

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