India News(इंडिया न्यूज),Devlong Festival: देवलांग उत्सव मुख्य रूप से उत्तरकाशी की रवाई घाटी की बनाल पट्टी के गैर गांव में आयोजित होता है। इसके साथ ही ठकराल पट्टी के गंगटाड़ी, और उत्तरकाशी धनारी पट्टी के पूजारगांव में भी देवलांग का उत्सव मनाया जाता है। देवलांग रवाई के खास त्योहारों में शामिल हैं जो की आज भी अपनी पौराणिकता समेटे हुए है। यह उत्सव उत्तराखंड के लोक उत्सवों में सबसे खास है। रवाई घाटी की बनाल पट्टी में देवलांग उत्सब मंगसीर अमावस्या की रात से लेकर अगले दिन तक गैर गांव में आयोजित होता है। इस मेले को 2016 में उत्तराखंड सरकार द्वारा राजकीय मेला भी घोषित किया गया।
मंगसीर अमावस्या (12 दिसंबर) की रात से लेकर अगले दिन तक मनाए जाने वाला देवलांग की तैयारी बनाल पट्टी के ग्रामीण एक महीने पहले ही शुरू कर देते हैं। स्थानीय भाषा में देवलांग का सीधा अर्थ है ‘देवता का लंबा वृक्ष। देवलांग के लिए पहले ही देवदार की सूखी लकड़ी के छिलके तैयार किए जाते है। अमावस्या के दिन गांव के लोग व्रत रखकर बड़ी श्रद्धा के साथ देवदार के लंबे साबुत पेड़ को मंदिर प्रांगण में लाते हैं तथा विशेष पूजा-अर्चना के साथ पेड़ के बाहर छिलके बांधकर उसे तैयार करते हैं।
रात्रि में गांव-गांव से ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ अलग-अलग समूह में नाच गाकर गैर गांव पहुंचते हैं। जहां पूरी रात ढोल नगाड़ों की थाप पर नाच-गानों के साथ बिताई जाती है और सुबह होने से पहले देवदार के इस पेड़ पर आग लगा कर इसे खड़ा करते हैं। यह पेड़ रात खुलने तक जलता रहता है। बनाल पट्टी के गांव दो तोक में बंटे हैं।
एक साठी और दूसरा पानशाही। साठी और पांसाई तोक के लोग इस पेड़ को खड़ा करते हैं। जिसे देवलांग कहते हैं। देवलांग अर्थात देवता के लिए लाया गया देवदार का लंबा वृक्ष। देवलांग नीचे से ऊपर की ओर जलती चली जाती है। जिसे देख कर आभास होता है कि एक सुंदर सा दीपस्तंभ जल रहा हो। यह दृश्य देखने लायक होता है। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं।
देवलांग देवताओं को प्रसन्न करने का एक प्रयास है तथा इसे प्रभु की ज्योति के रूप में अज्ञान व अंधकार को हरने वाले उजाले के रूप में भी देखा जाता है। गैर गांव में लगने वाले देवलांग का यह पर्व अनादिकाल से चलता आ रहा है तथा यह मंगसीर के महीने की अमावस की रात को ही मनाया जाता है। यह त्योहार एक प्रकार से सूक्ष्म मृत्यु का स्वरूप है और दिन जीवित हो जाने का समय है। ह्यअसतो मां ज्योतिर्गमयह्ण अर्थात हे प्रभु हमें अंधेरी से उजाले की ओर ले चल। अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला यह पर्व देवलांग है।
देवलंग की अंतिम मशाल गैर गांव के निकट देवदार के घने जंगल के बीच विराजमान मड़केश्वर मंदिर में पहुंचाई जाती है। मंदिर के बाहर ही हवन-पूजन किया जाता है ।
गैर गांव स्थित राजा रघुनाथ मंदिर परिसर में देवलांग उत्सव में भारी भीड़ उमड़ती है, यह उत्सव लोक परंपराओं का सबसे खास उत्सव है।
ALSO READ:
UP Weather Today: यूपी में लगातार गिर रहा पारा, इन शहरों में फिर खराब श्रेणी में AQI
Ramnagar News: रामनगर में जंगली जानवरों का आतंक! परेशान ग्रामीणों ने कॉर्बेट कार्यालय में दिया धरना
डेस्क पर ‘जय श्रीराम’ लिखने से टीचर हुई आग बबूला, छात्र के मुंह पर फेंक दिया व्हाइटनर
India News UP (इंडिया न्यूज़), CM Yogi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा…
India News UP (इंडिया न्यूज़), UP News: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक चौंकाने…
India News UP (इंडिया न्यूज़), Lucknow Rape Case: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक…
India News UP (इंडिया न्यूज़), Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के 99…
India News UP (इंडिया न्यूज़), Bahraich News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़ियों का…
India News UP (इंडिया न्यूज़), Doctors Strike: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित बनारस हिंदू…