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इंडिया न्यूज, देवरिया (Uttar Pradesh): उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में कुछ घंटों के भीतर ही दो सगे भाइयों की अलग-अलग सड़क हादसों में मौत हो गई। इस घटना से गांव में कोहराम मच गया। छोटा भाई मोटरसाइकिल पर निमंत्रण से घर लौट रहा था, कि बिहार के जीरादेई में सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई। जब यह सूचना कानपुर में बड़े भाई को मिली तो वह कार से देवरिया के लिए निकला पड़ा, लेकिन उन्नाव के पास कार का पहिया ब्लास्ट होने से कार अनियंत्रित हो जाने से बड़े भाई की भी मौत हो गई। इस तरह दोनों भाइयों की चंद घंटों के अंतराल में हुई मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
दोस्त के साथ बिहार के जीरादेई गया था निमंत्रण
थाना भाटपाररानी के छतरपुर गांव के रहने वाले दिलीप गौड़ अपने दोस्त रामकेवल शर्मा के साथ मोटरसाइकिल से बिहार राज्य के जीरादेई निमंत्रण में गया हुआ था। देर रात दोनों वापस लौट रहे थे, कि विजयीपुर चौराहे के पास अज्ञात वाहन की चपेट में आने से दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों घायलों को मैरवा के नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने दिलीप को मृत घोषित कर दिया, जबकि उसके दोस्त रामकेवल शर्मा को बीआरडी गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जहां वह अभी भी जिंदगी की जंग लड़ रहा है।
टायर फटने से सड़क किनारे गड्ढे में पलटी कार
दिलीप की मौत की सूचना जब घरवालों को हुई तो पूरा परिवार शोक में डूब गया। घरवालों ने इस दुःखद घटना की सूचना कानपुर में रह रहे भाई उमाशंकर गौड़ को दी, तो वह उसी रात परिवार समेत अपनी कार से घर के लिए निकल पड़ा। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। उमाशंकर उन्नाव के पास ही पंहुचे थे, कि कार का पहिया ब्लास्ट कर गया। जिससे कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे गड्ढे में चली गई। इस हादसे में उमाशंकर की भी मौत हो गई। जबकि उनकी घायल पत्नी कानपुर के अस्पताल में भर्ती हैं। हादसे में ड्राइवर को भी चोट आई है। उमाशंकर का कानपुर में ही पोस्टमार्टम हुआ और परिजनों ने वहीं अंतिम संस्कार कर दिया। जबकि छोटे भाई दिलीप का बुधवार की रात देवरिया के जिरासो घाट पर अंतिम संस्कार हुआ।
छतरपुर के पूर्व ग्राम प्रधान राजेश कुमार सिंह ने बताया कि भाइयों में उमाशंकर गौड़ दूसरे नंबर के थे। कानपुर की गन फैक्ट्री में पहले नौकरी करते थे। रिटायर होकर कानपुर में ही परिवार समेत रहते थे। जबकि दिलीप गौड़ भाइयों में सबसे छोटे थे और देवरिया ही गांव पर रहकर हलवाई का काम करते थे। इनकी बेटी की अगले वर्ष शादी तय थी। दो भाइयों की असामयिक मौत परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूटा ही है। गांव के लोग भी सदमे में डूब गए हैं।
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