Etawah: उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के 6 तहसीलों के अंदर आने वाले आठ विकास खंडों में लगभग 12 हजार से अधिक किसानों का फसल बीमा था। जिसमें मुख्य तौर पर चकरनगर तहसील क्षेत्र के अंदर चंबल और यमुना नदी में बाढ़ के कारण सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा बाजरे एवं अन्य फसलें बर्बाद हो गई थी।
जिसमें किसान पूरी तरीके से अन कंगाल और बैंक और साहूकारों का कर्जदार हो चुका था। किसानों ने सोचा था कि उन्होंने फसलों का बीमा करवा रखा है तो उन्हें उनकी लागत का पैसा तो मिल ही जाएगा लेकिन प्रशासन के द्वारा बीमा के नाम पर किसानों के साथ इस कदर भद्दा मजाक किया गया कि सभी का पेट भरने वाला अन्नदाता किसान बाड़ मुआवजे की चेक से एक वक्त का नाश्ता भी नहीं कर सकता।
किसानों को चकरनगर तहसील क्षेत्र के एक किसान को मुआवजे के नाम पर मात्र 129 का चेक दिया है। बेमौसम बरसात और बाढ़ से लेकर सूखे तक किसानों को हर साल जूझना पड़ता है इन आपदाओं के कारण किसानों को भारी नुकसान के साथ-साथ आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है। जिसके लिए सरकार की चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केकई लाभ बताने के बाद किसान बीमा योजना की पॉलिसी लेता है।
लेकिन जब किसान के साथ कोई आपदा उसकी फसल को नुकसान पहुंचाती है तो उसका नुकसान भरने की जगह प्रशासन बीमा के नाम पर उनके साथ भद्दा मजाक कर रहा है। कई किसान ऐसे हैं जिनको मात्र तीन सौ चार सौ के आसपास मुआवजे के तौर पर चेक दी गई है जहां किसानों का हजारों और लाखों रुपए का नुकसान दैवीय आपदा में हो चुका था।
देवरी गांव के निवासी राकेश कुमार ने बताया कि उनकी 5 बीघा बाजरे की फसल तैयार हो चुकी थी। उसी दौरान बाढ़ के कारण उनकी पूरी फसल नष्ट हो गई। उन्होंने फसल का बीमा भी लिया हुआ था। उन्होंने सोचा की फसल के बीमे से आने वाला पैसा होगा उससे वह कर्जदार और बैंक का कर्ज अदा कर देंगे लेकिन जब उन्हें बीमा कंपनी ने मुआवजे के तौर पर चेक हमारी वजह से उन्होंने देखा तो उनके होश फाख्ता हो गए। उन्हें मात्र 129 की चेक देकर उनके साथ एक बड़ा मजाक किया गया। उन्होंने बताया कि इस बाजरे की खेती को तैयार करने में करीबन 30000 का मेरा खर्चा हुआ था। और प्रशासन और बीमा कंपनी हमारे साथ 129 रुपए का चेक देकर हमारे साथ मजाक कर रहा है।
इटावा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में किसानों को हुए नुकसान के बाद उनके साथ मुआवजे के तौर पर किए गए मजाक पर जानकारी देते हुए इटावा जनपद की चकरनगर तहसील क्षेत्र के एसडीएम मलखान सिंह ने बताया कि फसल बीमा बीमा कंपनी के द्वारा किया जाता है। इसमें बीमा कंपनी के जो अधिकृत अधिकारी है जो कृषि विभाग से संपर्क रखते हुए क्षेत्र में सर्वे करते हैं। सर्वे करने के उपरांत जिन-जिन किसानों को उस बीमा कंपनी के तहत शामिल करती है और यदि क्षति होती है तो उसका लाभ होने उपलब्ध कराते है।
बीमा कंपनी की जो क्राइटेरिया होते हैं वह राजस्व विभाग से अलग होते हैं। वह कृषि विभाग और बीमा कंपनी भी उनके नुकसान का आंकलन कर उनको देने वाले मुआवजे की दर से पैसा देती है। राजस्व विभाग का उसने बीमा के संबंध में कोई भी हस्तक्षेप नहीं होता है राजस्व विभाग अलग से ही सहायता देने का प्रावधान है, आसन स्तर से डायरेक्शन दी गई है कि यदि फसल देवी आपदा के कारण बाढ़ के कारण या आग लग जाने के कारण 33 प्रतिशत से अधिक क्षति होती है तो शासन स्तर से जो उसकी दर निर्धारित है तो राज्य से वाग्देवी आपदा मद से उनको मदद करता है।
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