India News(इंडिया न्यूज़), Ghaziabad News: ग्रेटर नोएडा मे कक्षा-2 के मासूम को फर्राटेदार अंग्रेजी में बात न करने का खामियाजा उठाना पड़ गया। ग्रेनो के एक मिशनरी स्कूल ने बच्चे की टीसी काटकर बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। हालांकि दाखिले के दौरान बच्चे ने स्कूल का लिखित टेस्ट पास कर काउंसलिंग का भी दौर पार किया था। इसके बाद ही दाखिला मिला था। मगर हिंदी बोले जाने देश में स्कूल प्रशासन की कट्टरपन के चलते अब गार्जियन दूसरे स्कूलों में बच्चे के दाखिले के लिए भटक रहे हैं।
गाजियाबाद निवासी एक महिला ने पिछले दिनों कासना स्थित एक इंटर कॉलेज में शिक्षिका के रूप में पदभार ग्रहण किया था। शिक्षिका के पति गाजियाबाद की एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। ग्रेटर नोएडा में पत्नी की जॉब मिलने पर परिवार यहीं आकर रहने लगा और अपने सात वर्षीय बेटे के अल्फा-2 स्थित एक मिशनरी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन किया। टेस्ट के बाद काउंसलिंग में बच्चे से अंग्रेजी में रीडिंग भी कराई गई। इसके बाद दाखिले और फीस समेत 55 हजार रुपये अभिभावकों से जमा कराए।
अगस्त के बाद से बच्चे ने स्कूल जाना शुरू किया था। अब छात्र की मां का आरोप है कि स्कूल से उन्हें बुलाया गया और बताया कि उनका बच्चा अंग्रेजी नहीं समझ पाता है। उसको अंग्रेजी भाषा में बोलकर जो कार्य करने के लिए दिया जाता है, बच्चा भाषा न समझने के कारण नहीं कर पाता। साथ ही आपका बच्चा अंग्रेजी के बजाय हिंदी में ही बात करता है। बच्चे की मां का कहना है कि चार बार उनको स्कूल बुलाकर शर्मिंदा किया गया। बच्चे पर शैतानी का भी आरोप लगाया गया। इसके बाद स्कूल की ओर से बच्चे की टीसी काट दी गई। अभिभावकों से कहा गया है कि वह फीस वापस लेकर किसी अन्य स्कूल में बच्चे का दाखिला करा लें। बच्चे का भविष्य देखते हुए उन्होंने कहीं शिकायत नहीं की है।
Varanasi में सोने की दुकानों में IT का छापा, कारोबारियों में हड़कंप