India News (इंडिया न्यूज़), Sushil Kumar, Gorakhpur News: डाक्टरों की दवाओं पर कमीशनखोरी पर सरकार का अंकुश, प्राइवेट अस्पताल के मनमानी पर सरकार की नजर हुई टेढ़ी, जी हां अब नेशनल मेडिकल कमीशन की नई गाइडलाइन के अनुसार डाक्टरों के मनमानी पर रोक लगने के साथ साथ तीमारदारो और मरीजो को राहत देनी के लिए सरकार ने इस पहल की शुरुआत की।
जिसको लेकर अब प्राइवेट अस्पतालों को इस NMC की गाइडलाइन का पालन करना होगा नहीं तो कार्यवाही होगी|
NMC की गाइडलाइन जारी होते ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कुछ चीजो को लेकर इसका विरोध कर रहे है, IMA से जुड़े डॉक्टरों का कहना है, कि दवाओं का नाम स्पष्ट रूप से लिखने का नियम ठीक है, लेकिन केवल जेनरिक दवाएं लिखने का नियम गलत है, और अगर ब्रांडेड दवाओं का नाम नहीं लिखेंगे तो इससे केमिस्ट वालो का बोल बाला हो जाएगा और वो अपने मन से जो मर्जी करे तीमारदार या मरीज को देंगे।
IMA सचिव डॉ. अमित मिश्रा ने कहा, सिर्फ जेनरिक दवाएं लिखने का सीधा असर मरीजों की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है। इससे हम मरीज को मेडिकल स्टोर के भरोसे छोड़ देंगे, सिर्फ फार्मूला लिखने पर मेडिकल स्टोर संचालक उसे कोई भी ऐसी दवा दे सकता है, जो रोग ठीक करने में पूरी तरह से कारगर न हो, साथ ही NMC ने सुझाव भी दिए है।
केवल जेनरिक दवाएं ही मरीज को लिखें
सिर्फ जेनरिक, गैर मालिकाना दवाओं का ही नाम लिखें, तर्कसंगत और किफायती दवाएं लिखें। दवाओं के प्रभाव को देखते हुए उतनी ही दवा लिखें, जितनी जरूरी हों, निश्चित खुराक संयोजन का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करें, दवा विक्रेताओं को समझाएं कि वे केवल जेनरिक दवाएं ही लिखें, ब्रांडेड जेनरिक दवाएं लिखने से बचें, ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं की समानता के बारे में मेडिकल छात्रों, मरीज व जनता को बताएं|
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