India News (इंडिया न्यूज़), Gyanvapi Case,उत्तर प्रदेश: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे मामले में आज गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (मुस्लिम पक्ष) की याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। वाराणसी जिला कोर्ट द्वारा इसमें ASI को ये निर्धारित करने को लेकर सर्वे के निर्देश को चुनौती दी गई थी कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद को एक मंदिर पर बनाया गया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाते हुए जोर देते हुए कहा, “न्याय के हित में वैज्ञानिक सर्वेक्षण आवश्यक है।” मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने इस फैसले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कृष्ण जन्मभूमि के भी ASI सर्वे होना चाहिए।
भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, “अच्छा है…सर्वे होना ही चाहिए। इसका डिसीजन जल्द से जल्द होना चाहिए, पूरे देश के लिए अच्छा है। कृष्ण जन्मभूमि का भी सर्वे होना चाहिए। जल्दी से जल्दी सब क्लीयर होना चाहिए। फैसला जल्द से जल्द आना चाहिए अन्यथा बातचीत होती रहेगी। अगर अंतिम निर्णय जल्द आता है तो यह देश के लिए अच्छा होगा।” वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले को मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने को लेकर विचार कर रहा है।
मामले में एएसआई(ASI) की ओर से ने मुस्लिम पक्ष की दलील को सिरे से खारिज कर दिया गया। साथ ही एएसआई(ASI) की ओर से कहा गया कि सर्वेक्षण के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक से ज्ञानवापी की मूल संरचना को खरोंच तक नहीं आयेगी।जिसके जवाब में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सौरभ तिवारी का कहना है वैज्ञानिक सर्वेक्षण के जरिए वो ज्ञानवापी की सच्चाई सामने लाना चाहते है। वहीं, सर्वेक्षण होने की दशा में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालनें को राज्य सरकार पूरी तरह से तैयार है।
मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी द्वारा कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि असमायिक अदालती आदेश के जरिये ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचनें की आशंका जताई थी। जिसके बाद उन्हाेनें बोला अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस का दंश देश ने झेला है।किसी भी बिंदु तय किये बिना जल्दबाजी में सर्वेक्षण और खोदाई का फैसला घातक हो सकता है।
बता दें कि इंतजामिया कमेटी की ASI सर्वे पर रोक लगाने की याचिका खारिज को HC ने वाराणसी जिला कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश को बरकरार रखा है। इससे पहले दोनो पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले में 28 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर कहा, “वहां मौजूद कई सबूत हैं जो कहते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर था। ASI सर्वे से तथ्य सामने आएंगे। मुझे यकीन है कि मूल शिवलिंग को वहां मुख्य गुंबद के नीचे छिपा दिया गया है। इस सच्चाई को छिपाने के लिए, उन्होंने यानी कि मुस्लिम पक्ष बार-बार आपत्ति जताई है। वे जानते हैं कि इसके बाद यह मस्जिद नहीं रहेगी और वहां एक भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा।”
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