India News (इंडिया न्यूज़), Haldwani Patakha Godam: आखिरकार शहर को बारूद के ढेर से मुक्त कर दिया गया है। बार-बार पहुंच व रसूख का इस्तेमाल कर पटाखा व्यवसायी आबादी के बीच में पटाखा गोदाम के लाइसेंस का नवीनीकरण करवा लेते थे। इससे खतरा बना रहता था। मामला कोर्ट में जाने के बाद डीएम वंदना ने आबादी के बीच बने 11 पटाखा गोदामों का लाइसेंस निरस्त कर दिया है।
वास्तविक स्थिति जानने के लिए शुक्रवार को सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह के नेतृत्व में निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्हें चौंकाने वाली स्थिति देखने को मिली। वर्ष 2011 से ही शहर के घनी आबादी के बीच पटाखा गोदाम संचालित हैं। बार-बार इन्हें प्रशासन द्वारा दिए नोटिस के बाद भी गोदाम शिफ्ट नहीं कराए गए।
पटाखा व्यवसायी मनमानी करते रहे। जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो जिला प्रशासन ने इन दुकानदारों को गोदाम के लिए दूसरी जगह बताने को कहा, मगर किसी ने भी ऐसा नहीं किया। इसके चलते 8 सितंबर को सभी 11 पटाखा गोदामों का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। इन गोदामों में पटाखों की स्थिति जानने के लिए शुक्रवार को सिटी मजिस्ट्रेट ने मुख्य अग्निशमन अधिकारी और नायब तहसीलदार के साथ जगहों का जायजा लिया।
सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि अधिकांश दुकानदारों के गोदाम में पटाखे नहीं मिले। कालाढूंगी चौराहे की दुकान में कुछ मात्रा में पटाखा मिले हैं, जिसके बाद इन्हें नष्ट कर दिया गया। वहीं सभी गोदाम मालिकों से लिखित में लिया गया है कि वह फिर से इस जगह पर पटाखे का व्यवसाय नहीं करेंगे।
सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि निरीक्षण के दौरान हैरान करने वाली स्थिति देखी। पटाखा गोदाम ऐसी जगह पर बनाए गए थे जहां छोटे वाहन तक नहीं जा सकते थे। ऐसे में कभी दुर्घटना होने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी का पहुंचना संभव ही नहीं है। इन गोदामों का हटना बहुत जरूरी था।
पटाखा गोदाम के व्यवसायी लाइसेंस निरस्त होने के बावजूद पहुंच व रसूख का इस्तेमाल करते नजर आए। कई अधिकारियों से भी मिले लेकिन मामला न्यायालय में होने के चलते किसी ने भी इनकी नहीं सुनी। आखिरकार शहर को बारूद के ढेर से मुक्त कर दिया गया है।
कारखाना बाजार में पंकज कुमार और नीरज कुमार, पंत मार्केट किला बाजार विपिन कुमार, सदर बाजार में हरिशंकर गुप्ता, किला बाजार में संजय कुमार, मोहन लाल गुप्ता, कालाढूंगी चौराहे में संजय कुमार, पैठपड़ाव में अजय कुमार गुप्ता, सदर बाजार में राकेश कुमार गुप्ता, मुनगली गार्डन में आलोक कुमार और कुसुमखेड़ा में नीलकमल देवल की ओर से पटाखा गोदाम संचालित किए जा रहे थे।