इस वर्ष होली का त्योहार आठ मार्च को मनाया जाएगा। होली के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। हम आपको बताएगें होलिका दहन से जुड़ी कुछ बातें और इसका शुभ मुहूर्त। प्रेम, प्यार और रंगों का महत्वपूर्ण त्योहार होली जल्द ही आने वाला है। होली को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों से की जा रही है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली के दिन लोग अपनी दुश्मनी भुल कर एक दूसरे को गले से लगाते हैं। साथ ही गुलाल, अबीर लगाकर अपनी खुशी जाहिर करते है। होली का त्योहार हर वर्ष फागुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष होली का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा ठीक एक दिन पहले 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा।
देश में होलिका दहन करने की परंपरा प्राचीन काल से चलती आ रही है। होलिका दहन एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। कहा जाता हैं कि एक समय पे हिरणकश्यप नाम का असुर हुआ करता था। वो चाहता था कि सारे लोग उसे भगवान की तरह उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र था प्रह्लाद वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। अर्थात प्रह्लाद भगवान विष्णु की दिन रात अराधना करता था।
जो राजा हिरणकश्यप को बिलकुल भी पसंद नहीं था। वहीं हिरणकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि वो अग्नि में कभी जल नहीं सकती है। हिरणकश्यप अपने पुत्र से इतना दुखी था कि उसके मन में अपने पुत्र को मारने की इच्छा हुई। उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के साथ अग्निकुंड में बैठने को कहा प्रहलाद अपनी पिता कि आज्ञा अनुसार होलिका के गोद में बैठ गया। लेकिन प्रह्लाद की भक्ति में इतना असर था कि अग्नि भी उसका बाल बांका नहीं कर पाई। वहीं हिरणकश्यप की बहन होलिका अग्निकुंड में भस्म हो गई।
इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार 7 मार्च को शाम 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक का है। मतलब होलिका दहन के 2 घंटे 27 मिनट का समय है। इसके साथ ही भद्रा काल का मुहूर्त 6 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 48 मिनट से शुरु होगा और 7 मार्च 2023 को सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ही होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शुरू होगा। होलिका दहन के लिए पूजा के लिए सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश का स्मरण करके पूजा की जाती है। फिर आप उस स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। इसके साथ ही पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए।
होलिका दहन के लिए लकड़ियों को किसी चौराहे पर इकट्ठा करके रखा जाता है। फिर उपलों और पेड़ की सूखी लकड़ियों से पूरी तरह ढंक दिया जाता है। होलिका दहन से पहले इसकी पूजा अर्चना करने का विधान है। लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा अर्चना करते हैं। वहीं जानकारी दें कि गेंहूं की सूखी बालियों और मिठाई से पूजा अर्चना की जाती है।इसके बाद होलिका दहन की शुरूआत की जाती है। कहावत है कि इस अग्नि में आपकी सारी बुरी बलाएं जलकर राख हो जाती हैं।
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