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Homi Bhabha Cancer Hospital Varanasi : वाराणसी के होमी भाभा कैंसर अस्पताल में शुरू हुई एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा

• LAST UPDATED : January 3, 2022

इंडिया न्यूज, वाराणसी:
Homi Bhabha Cancer Hospital Varanasi  नए साल में होमी भाभा कैंसर अस्पताल में एलोजेनिक बोन मौरो ट्रांसप्लांट की सुविधा की शुरूआत की गई है। सोमवार को टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ. राजेंद्र ए.बडवे ने अस्पताल में एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा के लिए तैयार वॉर्ड का उद्घाटन किया गया। इस सुविधा की यहां शुरूआत होने के बाद अब कैंसर मरीजों को एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के लिए दूसरे शहर जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे वाराणसी सहित पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को इलाज में बड़ी सहूलियत मिलेगी।


ब्लड कैंसर के रोगियों के लिए अहम है Homi Bhabha Cancer Hospital Varanasi

ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया और लिंफोमा) के मरीजों के इलाज में एलोजेनिक बोन मौरो ट्रांसप्लांट अहम है। होमी भाभा कैंसर अस्पताल में अब तक आटोलोगस बोन मौरो ट्रांसप्लांट की ही सुविधा उपलब्ध थी,लेकिन सोमवार से अस्पताल में एलोजेनिक बोन मौरो ट्रांसप्लांट की सुविधा का भी शुभारंभ कर दिया गया।

होमी भाभा कैंसर अस्पताल के उपनिदेशक डॉ. बीके मिश्रा ने बताया कि इस सुविधा के लिए अस्पताल में सात बेड्स आरक्षित किए गए हैं। हर साल औसतन हमें 25 मरीजों को एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मुंबई स्थित टाटा कैंसर अस्पताल भेजना पड़ता था। हालांकि अब मरीजों को वाराणसी में ही यह सुविधा मिल सकेगी, जिससे न केवल मरीज का समय बचेगा बल्कि समय रहते ही जरूरी इलाज भी मिल सकेगा।

पूर्वांचल का पहला, उत्तर प्रदेश का दूसरा सेंटर बना Homi Bhabha Cancer Hospital Varanasi

वैसे तो अस्पताल में ट्रांसप्लांट की सुविधा पहले से ही थी, लेकिन अब तक हम केवल आटोलोगस बोन मौरो ट्रांसप्लांट ही करते थे, जिसके तहत मरीज के ही शरीर से स्टेम सेल निकालकर वापस उसे उसी मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता था।

Homi Bhabha Cancer Hospital Varanasi  जबकि एलोजेनिक बोन मौरो ट्रांसप्लांट के तहत किसी भी स्वस्थ मरीज के शरीर से स्टेम सेल निकालकर किसी दूसरे मरीज जो कि ब्लड कैंसर से जूझ रहा हो में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा। होमी भाभा कैंसर अस्पताल एलोजेनिक बोन मौरो ट्रांसप्लांट करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का पूर्वांचल का पहला, जबकि उत्तर प्रदेश का दूसरा सेंटर बन गया है।

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