इंडिया न्यूज, लखनऊ:
Interesting Story Of Yogi Becoming CM यूपी की कमान लगातार दूसरी बार संभालने जा रहे सीएम योगी की पहली बार सीएम बनने की कहानी दिलचस्प है। 2017 के पहले खुद उनको अपने सीएम बनने की उम्मीद नहीं थी। भाजपा आला कमान ने आखिरी समय फैसला किया और उन्हें सीएम बना कर हिंदू वोट कार्ड खेल दिया। पांच सालों में सीएम योगी भाजपा के फायर ब्रांड नेता बन गया और लगातार दूसरी बार सीएम पद के लिए चुने गए। साथ ही जनता में बुलडोजर बाबा के नाम विख्यात हो गए।
18 वर्ष की उम्र में घर छोड़ देने वाले ऐतिहासिक ‘गोरक्षापीठ’ के महंत योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश की कमान संभालने जा रहे हैं। 37 वर्ष पुराना मिथक तोड़कर इतिहास रचने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार का दूसरा शपथ ग्रहण समारोह 25 मार्च को होगा। लखनऊ स्थित अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इकाना स्टेडियम में शाम चार बजे से भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के परिणाम जिस दिन आने वाले थे उसी के आसपास योगी आदित्यनाथ को विदेश दौरे पर जाना था। ऐन मौके पर उन्हें भाजपा आलाकमान ने विदेश जाने से मना कर दिया। इससे संभावना बढ़ी की उन्हें कोई बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रदेश की की राजनीतिक फिजा में मुख्यमंत्री की रेस में कई बड़े नाम चल रहे थे। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मुख्यमंत्री की रेस में थे। हालांकि उनकी ओर से लगातार इस बात को खारिज किया जा रहा था। मुख्यमंत्री की रेस में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम था जो बड़े ओबीसी नेता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे करीबी नेताओं में मनोज सिन्हा भी मुख्यमंत्री की रेस में थे। बताया तो यह भी जाता है कि उनके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी थी। इन सब कयासों के बीच 17 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद को लेकर दिल्ली में आलाकमान सक्रिय हो गया। उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लौट चुके थे। अचानक योगी आदित्यनाथ को दिल्ली से फोन किया गया और उन्हें बुलाया जाता है।
योगी आदित्यनाथ के लिए बकायदा चार्टर्ड प्लेन भेजा गया और दिल्ली बुला लिया गया। दिल्ली आने के बाद योगी आदित्यनाथ को निर्देश दिया जाता है कि आपको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेनी है और आपको तुरंत लखनऊ जाना है। लखनऊ में योगी आदित्यनाथ को नेता विधायक दल चुना जाता है और 19 मार्च को शपथ ग्रहण भी होता है।
योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने हिंदुत्व की राजनीति को जिंदा तो रखा तो वही उत्तर प्रदेश में जाति की राजनीति को भी कम करने की कोशिश की।
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