Islamic Madrasas
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । राज्य में निजी मदरसों की सर्वेक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के प्रमुख ने कहा है कि गैर-पंजीकृत इस्लामी मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया फिर से शुरू होगी। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि राज्य सरकार की अनुमति से 8,500 असंबद्ध मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी। मदरसा सर्वेक्षण रिपोर्टों के मद्देनजर सरकार क्या अन्य कदम उठाएगी, इस पर चर्चा करने के लिए महीने के अंत तक एक बैठक होने की संभावना है। विस्तृत फील्ड वर्क के बाद जिलों द्वारा जिलाधिकारियों के माध्यम से शासन को रिपोर्ट सौंपी गई है।
यूपी में 8,500 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 सितंबर से 15 नवंबर तक निजी मदरसों में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं, उन्हें पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों, मदरसों की आय के स्रोतों के साथ अन्य बुनियादी जानकारी प्राप्त करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण में पाया गया था कि उत्तर प्रदेश में बिना मान्यता के 8,500 मदरसे चलाए जा रहे हैं। मदरसों के फंडिंग के बारे में पूछे जाने पर बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि सर्वेक्षण के दायरे में आने वाले सभी प्रतिष्ठानों ने ‘जकात’ (धर्मार्थ और धार्मिक उद्देश्यों के लिए इस्लामी कानूनों के तहत किया गया भुगतान) और दान को अपनी आय का स्रोत घोषित किया है।
मदरसा शिक्षा के लिए एनसीईआरटी और टीईटी
मिली जानकारी अनुसार सर्वेक्षण के बाद प्राप्त रिपोर्टों का आकलन करने की प्रक्रिया अभी भी जारी है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पात्रता परीक्षा को जरूरी बनाने पर भी विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मदरसों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) के लिए वर्तमान में कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया जा रहा है। इसी तरह मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पढ़ाने की आवश्यकता को देखते हुए इन संस्थानों में शिक्षक भर्ती के लिए बेसिक स्कूलों की तरह ही योग्यता प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ताजा सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं और उनमें से केवल 560 को सरकार से अनुदान मिलता है।
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