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इंडिया न्यूज, कानपुर (Uttar Pradesh): उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयुष्मान लाभार्थी अशोक हैलट के वार्ड 18 में पूरी रात दर्द से तड़पता रहा। अशोक के पैर में सड़न थी। जिसके कारण संक्रमण पूरे शरीर में फैल गया था। आरोप है कि डॉक्टर ने 3 हजार की दवा तो मंगा ली। लेकिन डॉक्टर ने रोगी को दवा नहीं दी। सुबह जब मरीज की हालत ज्यादा खराब हुई, तो परिजन उसे लेकर वार्ड से हैलट इमरजेंसी भागे। अशोक के छोटे भाई रंजीत ने आरोप लगाते हुए कहा कि मौत के बाद डॉक्टर ने मरीज को प्लास्टर बांधा। मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है।
प्लास्टर के बाद बढ़ा था दर्द
मेडिकल इथिक्स पर कार्यक्रम करके जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन डॉक्टरों को नसीहत देता है, कि रोगियों से अच्छा बर्ताव किया जाए। सुल्तानपुर गांव के अशोक के पैर पर दो महीने पहले टेंपो पलट गया था। इस दौरान उसका पैर टूट गया था। जिसके बाद फर्रुखाबाद के अस्पताल में दिखाने पर अशोक के टूटे पैर में प्लास्टर बांध दिया गया। जब प्लास्टर खोला गया तो भी अशोक चल नहीं पा रहा था। इस पर डॉक्टरों ने उसे हैलेट रेफर कर दिया। अस्थि रोग विभाग डॉ. संजय कुमार कि यूनिट के जूनियर डॉक्टर शोभित ने 15 दिसंबर को हैलट में मरीज के पैर पर फिर से प्लास्टर कर दिया। इसके बाद उसके परिजन उसे लेकर गांव वापस चले गए। लेकिन इसके बाद उसके पैर में दर्द काफी बढ़ गया। दर्द बढ़ने के 5 दिन बाद जब मरीज को लेकर परिजन फर्रुखाबाद के एक अस्पताल में ले गए, तो वहां प्लास्टर कटवाने पर पता चला कि उसके पैर में मवाद पड़ चुका है। इसके बाद मरीज के परिजन 27 दिसंबर को उसे लेकर फिर से हैलेट पहुंचे।
मृतक के भाई ने कहा- समय पर इलाज मिलता तो भाई शायद जिंदा होता
रंजीत ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस दौरान जूनियर डॉक्टर ने अभद्रता करनी शुरू कर दी। काफी हाथ-पैर जोड़ने के बाद डॉक्टर ने दवा तो लिख दी। लेकिन मरीज को न तो दवा दी गई और न ही इंजेक्शन लगाया गया। इसके बाद डॉक्टर ने कहा कि यह मेडिसिन केस है। जब मरीज को लेकर मेडिसिन पहुंचे, तो उन्हें वापस अस्थि रोग भेज दिया। इसके बाद रोगी सारी रात स्ट्रेचर पर रहा। मरीज को आयुष्मान वार्ड भेजने की जगह वार्ड 18 में भेज दिया। तबीयत बिगड़ने के बाद मरीज ने दम तोड़ दिया। मरीज के मरने के बाद डॉक्टर ने आकर प्लास्टर बांधा। इसके बाद परिजनों को जो डेथ सर्टिफिकेट दिया गया, उसमें मौत का कारण कार्डिएक अरेस्ट बताया गया। मृतक के भाई का कहना है कि अगर समय पर इलाज मिलता तो उसका भाई आज शायद जिंदा होता।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। मामले की जांच कराई जाएगी। साथ ही डॉ. संजय कुमार से भी मामले की रिपोर्ट ली गई है। साथ ही जूनियर डॉक्टर शोभित से मामले पर तलब किया गया है।
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